नई दिल्ली। हरियाणा से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा (Dipendra Hooda) ने पहलवानों के फैसले पर कहा कि देश का गौरव बढ़ाने वाले खिलाड़ियों से मेरी अपील है कि अपने मेडल गंगा में न बहाएं। आपको ये मेडल भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह (BJP MP Brij Bhushan Sharan Singh) की कृपा से नहीं मिले हैं अपितु वर्षों के तप और साधना से मिले हैं।
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देश का गौरव बढ़ाने वाले खिलाड़ियों से मेरी अपील है कि अपने मेडल गंगा में न बहाएं।
। आपको ये मेडल भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की कृपा से नहीं मिले हैं अपितु वर्षों के तप और साधना से मिले हैं। निःसंदेह पिछले दिनों खिलाड़ियों साथ बेहद बर्बरतापूर्ण व्यवहार हुआ है। जिससे सारा…
— Deepender S Hooda (@DeependerSHooda) May 30, 2023
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निःसंदेह पिछले दिनों खिलाड़ियों साथ बेहद बर्बरतापूर्ण व्यवहार हुआ है। जिससे सारा देश दुखी है। ये वही भूमि है जहां एक नारी का चीरहरण करने का प्रयास किया गया था, परिणामस्वरूप महाभारत हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार को चेताना चाहता हूं कि समय रहते अहंकार छोड़कर राजधर्म का पालन करते हुए खिलाड़ियों की आवाज़ सुने और उन्हें न्याय दिलाए।
यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) के आरोपों को लेकर भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह (BJP MP Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवान आज शाम उत्तराखंड के हरिद्वार जाएंगे। यहां पहलवान अपने मेडल गंगा नदी में प्रवाहित करेंगे। पहलवान बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।
बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) ने कहा कि 28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया? हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफ़आईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है?
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हमें अपराधी बना दिया, शोषण करने वाला लगा रहा है ठहाके
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क्या हमने मेडल इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ घटिया व्यवहार करे। हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे। क्या महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न पर इंसाफ मांगकर कोई अपराध किया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है। शोषण करने वाला खुली सभाओं में फब्तियां कसकर ठहाके लगा रहा है।
राष्ट्रपति और PM को लौटाने पर मन नहीं माना
मेडल लौटाने पर सवाल आया कि किसे लौटाएं?, हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं, हमसे 2 किलोमीटर दूर बैठी हैं लेकिन कुछ नहीं बोलीं। प्रधानमंत्री ने हमें अपने घर की बेटियां बताया लेकिन एक बार भी सुध नहीं ली। उलटा नई संसद के उद्घाटन में शोषण करने वाले को बुलाया। क्या बेटियां सिर्फ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं।
शोषण के खिलाफ बोलो तो जेल में डालने की तैयारी
यह मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ अपना प्रचार करता है। यह तेज सफेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है। हम उस शोषण के खिलाफ बोले तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है।
मेडल पवित्र, मां गंगा ही सही जगह
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जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है, न कि हमें मुखौटा बना फ़ायदा लेने के बाद हमारे उत्पीड़क के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र।
लोग सोचें, वे बेटियों के साथ या उत्पीड़न करने वालों के?
अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं। अब लोगों को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ खड़े हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उस तेज सफ़ेदी वाले तंत्र के साथ।