Banarasi Paan, Langda mango GI club : मशहूर बनारसी पान की लालिमा और लंगड़े आम का स्वाद दुनिया के अब कोने में फैलेगा। मशहूर बनारसी पान को Geographical Indication (GI) टैग मिला है। यह टैग दर्शाता है कि किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान (specific geographic location) के उत्पादों में ऐसे गुण होते हैं, जो उस मूल के कारण होते हैं। अपने लजीज स्वाद के लिए मशहूर बनारसी पान खास सामग्री से अनोखे तरीके से बनाया जाता है।
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पद्म पुरस्कार से सम्मानित जीआई विशेषज्ञ रजनीकांत (Padma awardee GI specialist Rajinikanth)ने कहा कि बनारसी पान के साथ, वाराणसी के तीन अन्य उत्पादों बनारसी लंगड़ा आम, रामनगर भांटा (बैंगन) और आदमचीनी चावल को भी जीआई टैग मिला है। इसके साथ, काशी क्षेत्र अब 22 जीआई टैग उत्पादों का दावा करता है।
20 उत्पादों के सामने आए थे आवेदन
नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development) उत्तर प्रदेश के सहयोग से, कोविड चरण के दौरान 20 राज्य-आधारित उत्पादों के लिए GI आवेदन दायर किए गए थे। इनमें से 11 उत्पाद, जिनमें सात ODOP और काशी क्षेत्र के चार उत्पाद शामिल हैं, को नाबार्ड और योगी आदित्यनाथ सरकार की मदद से इस साल जीआई टैग मिला है।
इन उत्पादों को मिला जीआई टैग
इनमें बनारस का लाल पेड़ा, चिरगांव गूसबेरी, तिरंगी बर्फी, बनारसी ठंडाई और बनारस लाल भरवा मिर्च आदि शामिल है। इससे पहले, काशी और पूर्वांचल क्षेत्र में 18 जीआई उत्पाद थे। इनमें बनारस ब्रेड और साड़ी, हस्तनिर्मित भदोही कालीन, मिजार्पुर हस्तनिर्मित कालीन, बनारस मेटल रेपोसी क्राफ्ट, वाराणसी गुलाबी मीनाकारी, वाराणसी लकड़ी के लाख के बर्तन और खिलौने, निजामाबाद काली पत्री, बनारस ग्लास शामिल थे। बीड्स, वाराणसी सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, गाजीपुर वॉल हैंगिंग, चुनार सैंडस्टोन, चुनार ग्लेज पटारी, गोरखपुर टेराकोटा क्राफ्ट, बनारस जरदोजी, बनारस हैंड ब्लॉक प्रिंट, बनारस वुड काविर्ंग, मिर्जापुर पीतल के बर्तन और मऊ की साड़ी शामिल है।