Basant Panchami 2024 : भगवती वीणापाणि माँ सरस्वती हमारे कलुषित मनोभावों का शमन कर सद्विचारों का सञ्चार करती है। बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की विधिवत पूजा अर्चना के उल्लास मनाया जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में वसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है यानी इस तिथि पर हर तरह के शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहन कर देवी सरस्वती की पूजा करने का विधान है।
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देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलेगी
ऐसा कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन पीला रंग का प्रयोग करने से सुख.समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। हिंदू धर्म में पीले रंग को बहुत ही शुभ माना है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने का विशेष दिन है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज रवि योग और रेवती नक्षत्र के साथ गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। गजकेसरी योग से मे मिथुन, सिंह , धनु और मकर राशि वालों पर मां सरस्वती के साथ देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलेगी।
वसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त
भगवती वीणापाणि माँ सरस्वती हमारे कलुषित मनोभावों का शमन कर सद्विचारों का सञ्चार करती है। बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की विधिवत पूजा अर्चना के उल्लास मनाया जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में वसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है यानी इस तिथि पर हर तरह के शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है।
मां सरस्वती को पीला रंग बेहद प्रिय है
बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहन कर देवी सरस्वती की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि मां सरस्वती को पीला रंग बेहद प्रिय है। ऐसा कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन पीला रंग का प्रयोग करने से सुख.समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। हिंदू धर्म में पीले रंग को बहुत ही शुभ माना है।
देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलेगी
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने का विशेष दिन है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज रवि योग और रेवती नक्षत्र के साथ गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। गजकेसरी योग से मेष , मिथुन, सिंहए धनु और मकर राशि वालों पर मां सरस्वती के साथ देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलेगी।
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मां सरस्वती के मंत्र (Maa Saraswati Ke Mantra)
1. ‘ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।’
2. सरस्वती गायत्री मंत्र : ‘ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।’
3. नमस्ते शारदे देवी, काश्मीरपुर वासिनी,
त्वामहं प्रार्थये नित्यं, विद्या दानं च देहि में,
कंबू कंठी सुताम्रोष्ठी सर्वाभरणंभूषिता,
महासरस्वती देवी, जिव्हाग्रे सन्नी विश्यताम् ।।
शारदायै नमस्तुभ्यं , मम ह्रदय प्रवेशिनी,
परीक्षायां समुत्तीर्णं, सर्व विषय नाम यथा।।