लखनऊ। लखनऊ के बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में एक पीएचडी स्कॉलर ने पर्यावरण माइक्रोबायोलॉजी विभाग (Department of Environmental Microbiology) के प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार पर गंभीर यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) का आरोप लगाया है। छात्र आशीष कुमार, जो एमएससी में स्वर्ण पदक विजेता रह चुके हैं, ने कुलपति को पत्र लिखकर इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। पत्र के वायरल होने से विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
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छात्र ने लिखा कि मैं एनवायरन्मेंटल माइक्रोबायोलॉजी का रिसर्च स्कॉलर (Research scholar of Environmental Microbiology) हूं। मेरे विभाग के प्रमुख सालभर से ज्यादा समय से मेरा यौन शोषण (Sexual Harassment) कर रहे हैं। मैं काम के लिए जब भी उनके कमरे में जाता हूं तो अकेले में मौका पाकर वो मुझे पोर्न वीडियो (Porn Videos) दिखाते हैं।
अब मैं यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूं। एक दिन तो उन्होंने कहा कि तुम यदि ओरल सेक्स करो तो मैं तुम्हारे NFSC फैलोशिप पर हस्ताक्षर कर दूंगा। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (BBAU) के रिसर्च स्कॉलर ने कुलपति को पत्र लिखकर अपने गाइड और विभाग के डीन प्रो.राजेश कुमार पर यह गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
रिसर्च स्कॉलर का कहना है कि यदि आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। छात्र ने बताया कि एमएससी, CSIR NET, आईसीएआर नेट और गेट क्वालीफाइंग में उसे स्वर्ण पदक मिल चुका है।
रजिस्ट्रार से प्रोफेसर की अच्छी दोस्ती से नहीं हुआ एक्शन
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रिसर्च स्कॉलर ने बताया कि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अश्वनी कुमार सिंह से मैंने इसकी शिकायत की। उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। वो आरोपी प्रो.राजेश के करीबी मित्र हैं। डीन एकेडमिक प्रो.विक्टर बाबू से भी मैंने शिकायत की पर अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ। मेरी कहीं पर भी सुनवाई नहीं हुई।
रिसर्च स्कॉलर ने 2 जून को BBAU के कुलपति प्रो.आरके मित्तल को मेल कर प्रो.राजेश कुमार के खिलाफ शिकायत की है। मेल में रिसर्च स्कॉलर ने लिखा है कि विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) में मामले को दर्ज कर और पुलिस में FIR भी दर्ज कराएं। प्रोफेसर राजेश कुमार को उनके अवैध और क्रूर कृत्य के लिए नियमानुसार दंडित करें।
रिसर्च स्कॉलर ने प्रोफेसर को उनके हेड और डीन के पद से हटाकर मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की। कहा कि हेड और डीन रहते हुए वे जांच को प्रभावित करेंगे। अंत में रिसर्च स्कॉलर ने लिखा कि प्रो.राजेश ने मुझे अपने बताए स्थान पर बुलाया, लेकिन मैंने मना कर दिया।
ICC करेगी निष्पक्ष जांच
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इस मामले में डीन एकेडमिक प्रो.विक्टर बाबू ने बताया कि शिकायत आने के बाद तत्काल इस मामले को कुलपति के संज्ञान में लाया गया है। वर्क प्लेस पर सेक्सुअल हैरसमेंट का आरोप है। ऐसे में पूरे प्रकरण की जांच ICC करेगी। निष्पक्ष जांच के आधार पर कार्रवाई भी होगी। उन्होंने कहा कि यौन शोषण की शिकायत लेकर इससे पहले कभी भी रिसर्च स्कॉलर मेरे पास नहीं आया।
प्रो.राजेश कुमार ने बताया कि मैं किसी गोपनीय ऑफिशियल काम से बाहर था। मेरे निकलने के बाद ही रिसर्च स्कॉलर ने ये शिकायत की है। मैं इसका गाइड नहीं हूं। ये बिना गाइड के काम कर रहा। इनके गाइड पंकज कुमार अरोड़ा रोहिलखंड यूनिवर्सिटी चले गए।
प्रोग्रेस रिपोर्ट न देने पर वॉर्निंग लेटर जारी
प्रो. राजेश ने कहा कि कुलपति को भी पता है कि मैं बाहर हूं। ये आरोप सरासर गलत है। कब और कहां शोषण हुआ, इसका उल्लेख नहीं। वेन्यू, डेट या टाइम कहीं नहीं लिखा। इनकी फैलोशिप पर बिना प्रोग्रेस रिपोर्ट के 2 बार हेड के तौर पर साइन भी कर दिया।
ऐसे में मैंने उसकी हेल्प की। पिछली बार पैर पकड़ फैलोशिप पर साइन करने की रिक्वेस्ट की। पर अब भी प्रोग्रेस रिपोर्ट नहीं दी। ऐसे में उसके लिए वॉर्निंग लेटर जारी किया गया। इसके बाद ही ये सब आरोप लगे है। 30 मई को वॉर्निंग लेटर दिया गया। उसके बाद 3 जून को ये शिकायत की आई।
विवादों से कभी नहीं रहा नाता
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प्रो.राजेश ने बताया कि ये एक गहरी साजिश है। मामले में विभाग के कुछ लोग भी शामिल हैं। कुछ साल पहले एक शख्स ऐसे ही एक मामले में फंसे थे। उनके खिलाफ एक महिला रिसर्च स्कॉलर ने शिकायत की थी। बाद में किसी तरह समझौता हुआ था। ये शिकायत भी उसी की कॉपी है। 25 साल के मेरे करियर में आज तक कोई दाग नहीं लगा। किसी भी तरह के विवाद से मेरा कोई नाता नहीं रहा।