लखनऊ। अगर आप तम्बाकू-गुटखा या सिगरेट के लती हैं तो सावधान हो जाईए। मुंह और गले का हर दूसरा कैंसर मरीज तम्बाकू का लती पाया गया है। ये तथ्य केजीएमयू रेडियोथेरेपी विभाग की ओपीडी में सामने आए हैं। इसकी रिपोर्ट भी कैंसर मरीजों की स्क्रीनिंग और बातचीत कर तैयार की गई है। सबसे बड़ी बात ये है कि 80 फीसदी मरीजों की उम्र 35 से 50 साल के बीच होती है।
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एक हिंदी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, केजीएमयू के पूर्व कुलपति व रेडियोथेरेपी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एमएलबी भट्ट का कहना है कि विभिन्न विभागों में प्रतिदिन करीब 400 से 500 कैंसर मरीज आ रहे हैं। इनमें नए कैंसर मरीजों की संख्या 100 से 150 के बीच होती है। इसमें 50 से 60 फीसदी मरीज मुंह, गले, खाने वा सांस की नली के होते हैं। सबसे बड़ी बात ये हैं कि मुंह और गले के कैंसर पीड़ितों ने एक दिन में 8 से 10 पाउच गुटखा खाने की बात कबूल किए हैं। यही नहीं उन्होंने सिगरेट और शराब के सेवन की बात भी कही है।
मुंह में तम्बाकू दबाकर सोते हैं मरीज
इस मामले को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट में सामने आया कि 80 फीसदी कैंसर मरीज रात में सोते समय तम्बाकू और गुटखा को मुंह में दबाकर सोते हैं। बताया कि ऐसा करने से तम्बाकू व पान मसाला के हानिकारक पदार्थ लार के सहारे पूरे शरीर पहुंचते हैं। इससे कैंसर की आशंका ढाई से तीन गुना तक बढ़ जाती है। केजीएमयू रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने कहा कि तम्बाकू में 4000 से अधिक घातक रसायन होते हैं। इनमें 69 रसायन कैंसर
पैदा कर सकते हैं। सिगरेट के पहले ही कश में निकोटिन छह सेकंड के भीतर मस्तिष्क तक पहुंचता है। जो दिमाग के लिए घातक साबित हो सकता है।
जानिए कितना घातक है तम्बाकू और सिगरेट
तम्बाकू और सिगरेट सेहत के लिए बहुत ही घातक है। इसका सेवन कई बीमारियों को जन्म देता है। रिपोर्ट के मुताकि, 7000 केमिकल सिगरेट में मिलाए जाते हैं। इसमें 60 केमिकल दिन और कैंसर की बीमारियों के लिए बेहद ही घातक है। यही नहीं 90 फीसदी बीमारियों को भी तम्बाकू जन्म देता है। अगर दुनियाभर में देखा जाए तो करीब इससे 70 लाख से अधिक मौते होती हैं।
सरकार नहीं बना पा रही कोई सख्त नियम
बता दें कि, तम्बाकू और सिरगेट से बढ़ते खतरों के बाद भी सरकार कोई सख्त नियम नहीं बना पा रही है। धड़ल्ले से दुकानों पर सिगरेट और तम्बाकू बिक रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि नाबालिग भी इसे आसानी से दुकानों से खरीद लेते हैं, जिसके कारण अब वो भी इन घातक बीमारी की जद में आ रहे हैं।
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