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रक्षासूत्र बांधने के लाभ: जानिए रक्षासूत्र बांधने के पीछे का पौराणिक और वैज्ञानिक कारण

By प्रीति कुमारी 
Updated Date

हिंदू धर्म में हर पूजा के दौरान कलाई पर कलावा बांधा जाता है। कलाव को रक्षा सूत्र माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार कलावा में कई प्रकार की दैवीय शक्तियां समाहित होती हैं, जो व्यक्ति को बुरी नजर, परेशानी और अनिष्ट शक्तियों के प्रभाव से बचाती हैं। कलावा को मौली और रक्षासूत्र के नाम से भी जाना जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि इसे बांधने के पीछे क्या कारण हो सकता है? यहाँ जानिए!

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पौराणिक कारण

शास्त्रों में बताया गया है कि माता लक्ष्मी ने कलावा बांधना शुरू किया था। जब भगवान विष्णु ने बामन अवतार में पृथ्वी को तीन चरणों में नापा तो राजा बलि की उदारता से प्रसन्न होकर उन्हें पाताल लोक में रहने दिया। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वह भी आकर पाताल लोक में रहें। विष्णु जी प्रसन्न हुए और उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। इसके बाद माता लक्ष्मी भगवान विष्णु को वहां से वापस लाने के लिए भेष बदलकर पाताल रूप में पहुंच गईं और बलि के सामने रोने लगीं कि मेरा कोई भाई नहीं है। इसके बाद बाली ने कहा कि आज से मैं तुम्हारा भाई हूं। इस पर माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र के रूप में कलावा बांधकर अपना भाई बनाया। इसके बाद उनसे उपहार स्वरूप भगवान विष्णु मांगा गया। तभी से रक्षा सूत्र के रूप में कलावा बंधा हुआ है।

विज्ञान क्या कहता है

विज्ञान के अनुसार शरीर के अधिकांश अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर मौली या कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित होती है। ऐसा माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय संबंधी रोग, मधुमेह और पक्षाघात जैसी स्थितियों से काफी सुरक्षा मिलती है।

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कलावा बांधने के फायदे

ऐसा माना जाता है कि अगर कलाई पर कलावा बांधा जाए तो इससे आने वाली परेशानियां टल जाती हैं। कलावा बांधने से देवी सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की विशेष कृपा के साथ-साथ ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है। लाल रंग का कलावा बांधने से मंगल ग्रह बलवान होता है। अगर पीले रंग का कलावा बांधा जाए तो यह बृहस्पति ग्रह को मजबूत करता है। यह भी माना जाता है कि कलाई पर काले रंग का कलावा बांधना शनि ग्रह के लिए शुभ होता है।

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