लखनऊ। भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे यूपी में दो आईएएस अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त संगठन ने जांच तेज कर दी है। इस जांच के दायरे में वर्तमान में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार और राम यज्ञ मिश्रा शामिल हैं। इन दोनों पर पद का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार का आरोप है। लोकायुक्त के सचिव अनिल कुमार सिंह ने दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए 6 सितम्बर तक स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।
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लघु उद्योग निगम को कार्यदायी संस्था नामित किया, जो कार्यदायी संस्था ही नहीं थी
बता दें कि लोकायुक्त संगठन में लखनऊ निवासी शिकायतकर्ता मोनिका सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि, शाहजहांपुर में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम लगाने के लिए जिस कार्यदायी कंपनी फर्म मेसर्स मैक्सवेल टेक्नोलॉजी को टेंडर दिया गया था। उसे ऐसा काम का पहले से कोई भी अनुभव नहीं था। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने अपने व्यक्तिगत लाभ के चलते फर्म मेसर्स मैक्सवेल टेक्नोलॉजी को कार्य देने के उद्देश्य से पहले लघु उद्योग निगम को कार्यदायी संस्था नामित किया, जो कार्यदायी संस्था थी ही नहीं।
फर्मों ने लगाए कूटरचित दस्तावेज
इसके अलावा निविदा में किए गए परिवर्तनों के लिए निगम पर कोई कार्रवाई नहीं की। आरोप है कि लघु उद्योग निगम के तत्कालीन एमडी रामयज्ञ मिश्रा जो वर्तमान में विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा के पद पर तैनात हैं उन्होंने भी विभाग की विशिष्टियों से छेड़छाड़ कर उसमें से गुणवत्ता प्रमाण पत्रों को हटवाकर प्रयागराज की अपनी चहेती फर्म को कार्य आवंटित करने की योजना बनाई थी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि मेसर्स मैक्सवेल टेक्नोलॉजी ने टेंडर में जितने भी अनुभव प्रमाण पत्र लगाए हैं, वो फर्जी थे। उसे ऐसे कार्य करने का कोई भी अनुभव नहीं था। बावजूद इसके लघु उद्योग निगम ने इन दस्तावेजों को सत्यापित ही नहीं कराया।
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टेंडर की सूचना ई-टेंडर की वेबसाइट पर अपलोड नहीं की
शासन ने टेंडर की सूचना ई-टेंडर की वेबसाइट पर अपलोड नहीं की, जहां अब भी बिड ओपनिंग दर्शा रहा है। लिहाजा लोकायुक्त के सचिव अनिल कुमार सिंह ने दोनों ही आईएएस अधिकारियों को नोटिस जारी कर 6 सितम्बर तक इन आरोपों पर अपने अपने स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने को कहा है।
प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग आलोक कुमार ने बताया कि इस प्रकरण की शिकायत दो वर्ष पूर्व भी लोकायुक्त संगठन से की गई थी। तब मैंने अपना जवाब भी दाखिल किया था, जिसके बाद लोकायुक्त संगठन ने प्रकरण समाप्त कर दिया था। अब दोबारा उसी शिकायत को किसी अन्य नाम से प्रस्तुत किया गया है। इसका जवाब नियत अवधि के अंदर प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
यूपी के मेडिकल कॉलेजों में फर्नीचर खरीद में भी घोटाला,पूर्व आईएएस समेत 6 अफसरों की मुश्किलें बढ़नी तय
यूपी के मेडिकल कॉलेजों में हुए फर्नीचर खरीद घोटाले में शामिल अफसरों पर लोकायुक्त संगठन ने अब शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। लोकायुक्त संगठन ने नोटिस देकर बीते 28 अगस्त को तलब किया था। ऐसे में अब पूर्व आईएएस समेत 6 अफसरों की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है। बता दें कि ये मामला कन्नोज, बदायूं और सहारनपुर राजकीय मेडिकल कॉलेजों में हुए फर्नीचर खरीद घोटले की है। शिकायत के बाद अब लोकायुक्त संगठन ने नोटिस देकर 28 अगस्त को तलब किया था। इनको शपथपत्र पर जवाब देने के साथ संबंधित दस्तावेज देने के निर्देश भी दिए हैं।
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लोकायुक्त संगठन ने जिनको नोटिस दिया है उसमें तत्कालीन अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अनीता भटनागर जैन, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. बीएन त्रिपाठी और राजकीय निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक आरएन यादव समेत छह अफसर शामिल हैं।
बता दें कि, इंदिरानगर निवासी आस्था श्रीवास्तव की शिकायत पर लोकायुक्त संगठन इस घोटाले की जांच कर रहा है। शिकायत में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, महानिदेशक स्वास्थ्य, निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक के अलावा सहारनपुर मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. संगीता अनेजा, बदायूं के प्राचार्य डॉ. एससी मिश्रा और अपर निदेशक चिकित्सा डॉ जीके अनेजा का नाम शामिल हैं।
एक रिपोर्ट की माने तो, डॉ. बीएन त्रिपाठी के पास कन्नौज मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य का अतिरिक्त कार्यभार भी था। शिकायतकर्ता आस्था श्रीवास्तव ने लोकायुक्त संगठन में शिकायत की थी कि मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों ने उच्चाधिकारियों के साथ साठगांठ करके करोड़ों रुपये के फर्नीचर की नियम विरुद्ध खरीद की। वहीं, अब लोकायुक्त संगठन ने नोटिस में पूछा है कि फर्नीचर खरीदने के लिए शासन से क्या अनुमति ली गई थी।
फर्मों पर भी कस सकता है शिकंजा
बताया जा रहा है कि, जिन फर्मों के द्वारा मेडिकल कॉलेज में फर्नीचर खरीदे गए हैं, उन पर भी शिकंजा कस सकता है। लोकायुक्त संगठन ने अफसरों को नोटिस दिया है। बताया जा रहा है कि, जल्द ही फर्नीचर खरीद में शामिल फर्मों पर भी इसको लेकर कार्रवाई की जाएगी।