नई दिल्ली। रेलवे सेफ्टी (Railway Safety) में सुधार के लिए मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा 2017 में बनाए गए विशेष फण्ड का इस्तेमाल फुट मसाजर, क्रॉकरी, बिजली के उपकरण, फर्नीचर, सर्दियों की जैकेट, कंप्यूटर और एस्केलेटर खरीदने, बगीचा डेवलप करने, शौचालय बनाने, वेतन और बोनस का भुगतान करने के लिए किया गया। बता दें कि 114,907 किमी के रेल नेटवर्क में रेलवे प्रतिदिन 2.4 करोड़ यात्रियों को ले जाने वाली 22,593 ट्रेनें चलाती है। साथ ही 9,141 मालगाड़ियों को चलाया जाता है।
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सीएजी की रिपोर्ट
दिसंबर 2022 में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा भारतीय रेलवे (Indian Railways) की एक ऑडिट रिपोर्ट (Audit Report) में यह विवरण भी दिया हुआ है। 2017-18 से 2020-21 तक 48 महीने की अवधि और रेलवे के हर जोन के दो दो डिवीजनों में दिसंबर 2017, मार्च 2019, सितंबर 2019 और जनवरी 2021 में 11,464 वाउचरों की एक रैंडम ऑडिट (Random Audit) जांच की गई थी। जिसमें पता चलता है कि सेफ्टी फण्ड (Safety Funds) के तहत 48.21 करोड़ रुपये का खर्च कुछ इस तरह किया गया। चूंकि यह सीमित रैंडम जांच थी सो असल खर्च कहीं ज्यादा हो सकता है।
2017 – 18 के बजट में बना था फण्ड
भारतीय रेलवे में सुरक्षा में सुधार के लिए समर्पित फण्ड “राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष” (RRSK) की योजना की घोषणा 2017-18 के बजट में की गई थी। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उस समय कहा था : “यात्रियों की सुरक्षा के लिए पांच साल की अवधि में 1 लाख करोड़ रुपये के कोष के साथ एक राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (Railway Safety Funds) बनाया जाएगा। सरकार से शुरुआती पूंजी के अलावा, रेलवे शेष संसाधनों की व्यवस्था अपने खुद के राजस्व और अन्य स्रोतों से करेगा।
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कांग्रेस ने घेरा
एक ट्वीट में कांग्रेस पार्टी ने सेफ्टी फण्ड (Safety Funds) के दुरुपयोग की निंदा करते हुए कहा कि सरकार धन के दुरुपयोग में उत्कृष्ट है! कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेलवे ने ‘राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष’ (Railway Safety Funds) से फुट मसाजर्स, क्रॉकरी, फर्नीचर, कार रेंटल, लैपटॉप और बहुत कुछ पर फिजूलखर्ची की।
क्या है रिपोर्ट में
द टेलीग्राफ की एक खबर के अनुसार, सीएजी की रिपोर्ट (CAG Report) भारतीय रेलवे पर एक श्वेत पत्र की ओर ध्यान आकर्षित करने से शुरू होती है, जो 2015 में तैयार किया गया था। उसमें सिफारिश की गई थी कि 1.14 लाख किलोमीटर रेलवे नेटवर्क में 4,500 किलोमीटर पटरियों को सालाना नवीनीकृत किया जाना चाहिए। यानी इतनी पटरियों को हर साल बदला जाएगा। यह उन प्रमुख कारणों में से एक था जिसके कारण सबसे पहले सुरक्षा कोष की स्थापना की गई थी। रिपोर्ट कहती है कि मूल शर्तों के तहत रेलवे सुरक्षा कोष में हर साल 20,000 करोड़ रुपये डाले जाने थे। इसमें से 15,000 करोड़ रुपये की राशि केंद्र से सकल बजटीय सहायता के रूप में आनी थी और बाकी 5,000 करोड़ रुपये रेलवे के आंतरिक संसाधनों से आने थे।चार साल की अवधि में, रेलवे को 20,000 करोड़ रुपये जमा करने थे। लेकिन वह सिर्फ 4,225 करोड़ रुपये दे सकी – उनके योगदान में 15,775 करोड़ रुपये या 78.9 प्रतिशत की कमी रह गई। रेलवे द्वारा धन पूल किये जाने के चलते रेलवे ने आरआरएसके (RRSK) के निर्माण के प्राथमिक उद्देश्य को विफल कर दिया।
गैर जरूरी खर्च
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रिपोर्ट कहती है कि अधिकारी अप्रासंगिक चीजों पर पैसा खर्च कर रहे थे। आरआरएसके (RRSK) के तहत गैर-प्राथमिकता वाले कार्यों का हिस्सा 2017-18 में 2.76 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 में 6.36 प्रतिशत हो गया। आरआरएसके (RRSK) के तहत धन कैसे खर्च किया जाना है, इस पर स्पष्ट दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए 2019-20 में इस मद में कुल मिलाकर 1,004 करोड़ रुपये खर्च किए गए। सीएजी की रिपोर्ट (CAG Report) में कहा गया है, “गैर प्राथमिकता वाले कार्यों पर व्यय की बढ़ती प्रवृत्ति आरआरएसके (RRSK) फंड परिनियोजन ढांचे के मार्गदर्शक सिद्धांतों के खिलाफ है, जो यह निर्धारित करती है कि प्राथमिकता-1 के कार्यों को आरआरएसके (RRSK) पर पहले प्रभार के साथ पूरा किया जाना चाहिए।”