कैराना। यूपी विधानसभा के चुनाव 2022 (UP assembly elections 2022) में होने जा रहे हैं। इसी बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कैराना का अहम दौरा कर रहे हैं। कैराना में पलायन पीड़ितों से मुलाकात के दौरान सीएम योगी (CM Yogi) ने बगल में बैठी एक बच्ची से पूछा कि अब तो कोई डर नहीं है न?’ इस पर बच्ची न में सिर हिला देती है। इसके साथ ही उन्होंने व्यापारियों से पूछा कि लौटने के बाद अब यहां आपको कोई डर तो नहीं है।
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कैराना, जनपद शामली में… https://t.co/5i4KfWKqn4
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 8, 2021
अपराधियों के राजनीतिकरण का दुष्परिणाम कैराना ने झेला
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सीएम योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कहा कि ये कस्बा कभी देश के प्रमुख अद्योगिक कस्बे के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत के प्रमुख घराने का केंद्र माना जाता था। 1990 के दशक के शुरू में राजनीतिक अपराधीकरण और पेशेवर अपराधियों के राजनीतिकरण का दुष्परिणाम कैराना और कांधला जैसे कस्बों ने झेला। यहां हिन्दू व्यापारी और अन्य हिन्दुओं को व्यापक पैमाने पर प्रताड़ित करके यहां से पलायन करने के लिए मज़बूर किया गया था। देश के अंदर ये समाचार काफी सुर्खियों में भी था। 2017 के बाद अपराध और अपराधियों पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत सरकार ने जो कार्रवाई की थी। उसके परिणाम स्वरूप इस कस्बे में शांति आई। बहुत सारे परिवार वापस आए हैं।
अपराधियों के प्रति जीरो टालरेंस की नीति
योगी ने कहा कि 2017 में जब मैं यहां आया था। तब यहां के लोगों ने मांग की थी कि सुरक्षा की दृष्टि से चौकी का सृढ़करण और पीएसई बटालियन की स्थापना हो। चौकी का सृढ़करण का काम पहले ही हो चुका था। पीएसई के बटालियन की स्थापना की कार्रवाई के लिए मैं यहां पर आया हूं। कुछ परिवारों के साथ भी मैंने संवाद किया है। जो पिछली सरकारों के राजनीतिक अपराधीकरण के शिकार हुए थे। उसमें से ज्यादातर परिवार वापस आ चुके हैं। उनमें एक विश्वास जगा है। हमारी सरकार ने आश्वस्त किया है कि सरकार अपराध और अपराधियों के प्रति जिस जीरो टालरेंस की नीति (zero tolerance policy) के तहत कार्य कर रही थी, वो रणनीति हमारी निरंतर आगे भी चलेगी। यही आश्वासन देने के लिए मैं आज कैराना कस्बे में आया हूं।
2013 में क्या हुआ था?
शामली जिले के कैराना में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। 27 अगस्त 2013 को कवाल में छेड़खानी की घटना के बाद हिंसा हुई थी। हिंसा में दो लड़कों की मौत के बाद हिंसा भड़का था। सांप्रदायिक हिंसा में कई दर्जन लोग मारे गए थे। हिंसा के बाद करीब 350 हिन्दु परिवारों ने पलायन किया था। बीजेपी ने पलायन के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। माहौल शांत होने के बाद कई परिवारों ने वापसी की। हिंसा के वक्त यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी।