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जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता, Lashkar-e-Taiba का एक और आतंकी गिरफ्तार

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में पुलवामा पुलिस (Pulwama Police) और सुरक्षकर्मियों ने शुक्रवार को लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के एक और आतंकी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गया आतंकी निकोलोरा का रहने वाला है। उसका नाम शमीम सोफी है। वहीं इस दौरान सुरक्षाबलों (security orces) ने हथियार और गोला-बारूद सहित आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है।

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बता दें कि जम्मू-कश्मीर के शोपियां में शुक्रवार सुबह आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ में एक दहशतगर्द ढेर कर दिया है। हालांकि मारे गए आतंकी की पहचान नहीं हो पाई है। बता दें कि सेना और सुरक्षा बलों की सख्ती से बौखलाए आतंकी नागरिक ठिकानों के साथ-साथ सेना के लोगों को भी अपना निशाना बनाते हुए हमला कर रहे हैं। हालांकि अभी इस मुठभेड़ के बार में कोई विस्तृत जानकारी नहीं मिली है।

पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) , पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (Pakistani intelligence agency) आईएसआई (ISI) और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) कश्मीर में जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने का जाल बुन रहे हैं। आतंकी संगठन मजबूर और गरीब तबके के युवाओं को टारगेट कर उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हैं। यह खुलासा उत्तरी कश्मीर के सीमांत जिले बारामुला के उड़ी सेक्टर (Uri Sector) में कुछ दिन पहले दबोचे गए लश्कर के पाकिस्तानी आतंकी बाबर ने किया है।

बाबर ने पूछताछ में बताया कि वह दीपालपुर का रहने वाला है। उसके परिवार में विधवा मां और एक गोद ली हुई बहन है। परिवार निम्न वर्ग से ताल्लुक रखता है जो बमुश्किल अपने दोनों वक्त की रोटी को पूरा कर पाता है। गरीबी से बचने के लिए उसने सातवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। आईएसआई (ISI)और लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba)  के लिए काम करने वाले एक लड़के से सियालकोट (Sialkot) में एक फैक्टरी में काम करते हुए मुलाकात हुई थी। उसने बताया कि यतीम और जरूरतमंदों लड़कों को ही लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) में शामिल किया जाता है।

बाबर के मुताबिक पिता का इंतकाल हो चुका था। घर में कमाने वाला अकेला था। इसलिए पैसों के लिए कश्मीर में जिहाद के लिए तैयार हो गया। आत्मसमर्पण करने वाले आतंकी ने बताया कि अतीकुर रहमान उर्फ कारी आनस निवासी गांव पिंडी जिला अटॉक पंजाब (पाकिस्तान) ने उसे उसकी मां के इलाज के लिए 20 हजार रुपये दिए थे और उसे 30 हजार रुपये और देने का वादा किया था। बाकी का पैसा बारामुला के पट्टन में सप्लाई का सामान पहुंचाने के बाद सुरक्षित वापसी पर दिया जाना था।

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