नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) की तरफ से बुधवार को संशोधित प्रस्ताव भेजा गया था। इसके बाद एसकेएम (SKM) की प्रस्ताव पर सहमति बन गई है। किसान संगठन (Farmers Organization) गुरुवार को आधिकारिक पत्र मिलने के बाद दोपहर को बैठक कर किसान आंदोलन (Farmers Movement) समाप्त करने की घोषणा कर सकते हैं। बता दें कि लगातार सरकार से खींचतान और मैराथन बैठकों की दौर के बाद आखिर किसानों के चेहरे पर खुशी दिखाई दी है।
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किसानों लंबित मांगों को मानें जाने के प्रस्ताव को सुधार के साथ केंद्र सरकार ने बुधवार को मोर्चा की कमेटी के पास भेजा। इसके बाद कमेटी ने प्रस्ताव के सभी बिंदुओं पर मोर्चा की कुंडली बॉर्डर पर चली बैठक में रखा, जिस पर सभी किसान नेताओं ने हामी भर दी है। इसकी जानकारी एसकेएम की 5 सदस्यीय कमेटी के सदस्यों गुरनाम सिंह चढूनी, शिवकुमार कक्का, युद्धवीर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल व अशोक धवले ने पत्रकारवार्ता में दी है।
किसानों की कमेटी ने मंगलवार को सरकार के भेजे प्रस्ताव के 3 बिंदुओं पर आपत्ति जताई है। इसके साथ ही उनमें सुधार की मांग की थी। इसके जवाब में बुधवार को सुबह ही सरकार की तरफ से संशोधित प्रस्ताव भेज दिया गया। इसके सभी बिंदुओं पर मोर्चा की गठित कमेटी ने बैठक कर चर्चा की। इसके बाद तीसरे पहर 3 बजे कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में यह प्रस्ताव रखा। करीब दो घंटे की चर्चा के बाद मोर्चा की बैठक में प्रस्ताव के सभी बिंदुओं पर सहमति बन गई है।
कमेटी के सदस्यों ने पत्रकारों को बताया कि सरकार द्वारा भेजे गए संशोधित प्रस्ताव पर सहमति बन गई है, लेकिन अभी यह प्रस्ताव अधिकृत पत्र के रूप में उनके पास नहीं आया है। सरकार को सहमति बनने से संबंधित जवाब भेज दिया गया है। गुरुवार दोपहर तक अधिकृत पत्र मांगा है। पत्र मिलते ही दोपहर 12 बजे फिर से संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी और आंदोलन स्थगित करने या वापस लेने का निर्णय ले लिया जाएगा।
सरकार व किसानों के बीच सकारात्मक दिख रहा माहौल
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आखिरकार सरकार के साथ सभी मांगों पर किसानों की सहमति बन ही गई। 5 सदस्यीय कमेटी के गठन के बाद इसका रास्ता बन गया था। सरकार ने लगातार कमेटी से संपर्क बनाए रखा और सभी मांगों के हर बिंदु पर मंथन हुआ। सरकार ने सकारात्मक रवैया दिखाया तो किसानों के तेवर भी नरम पड़ गए। एमएसपी पर कमेटी को लेकर मोर्चा की शर्त को मान लिया गया तो वहीं हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकार ने केस वापस लेने पर सहमति जता दी है। वहीं, सरकार की मांग पर किसानों ने लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री की बर्खास्तगी से संबंधित मांग को प्रस्ताव से हटा लिया था।
अधिकृत पत्र मिलते ही आंदोलन हो जाएगा खत्म
किसानों ने सरकार के प्रस्ताव पर मंथन करने के बाद प्रेस वार्ता में कहा कि नए प्रस्ताव पर एसकेएम में सहमति बन गई है। किसानों ने प्रेस वार्ता में केवल ये मांग रखी की इस प्रस्ताव को हस्ताक्षर के साथ अधिकृत पत्र के रूप में किसानों को दिया जाए। इससे स्पष्ट है कि अधिकृत पत्र मिलने पर किसान आंदोलन को समाप्त कर देंगे। हालांकि किसान नेताओं ने प्रेस वार्ता में पत्र मिलने के बाद आगे का फैसला लेने की बात कही।
सरकार का संशोधित प्रस्ताव, जिसके बाद बनी सहमति
सरकार की तरफ से बुधवार को किसानों की पांच सदस्यीय कमेटी को संशोधित प्रस्ताव भेज दिया गया। जिसके बाद सहमति बन गई।
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1. एमएसपी पर प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है। जिस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे। यह स्पष्ट किया जाता है कि किसान प्रतिनिधियों में एसकेएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और इसमें जरूरी होगा कि सभी किसानों को एमएसपी मिलना किस तरह सुनिश्चित किया जाए। सरकार वार्ता के दौरान पहले भी आश्वासन दे चुकी है कि वर्तमान में जिस राज्य में जिस फसल की एमएसपी पर जितनी सरकारी खरीद हो रही है, उसे घटाया नहीं जाएगा।
2. किसान आंदोलन के समय के केसों पर यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने तत्काल केस वापस लेने के लिये पूर्णतया सहमति दी है।
2-ए. किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्र में आंदोलनकारियों और समर्थकों पर बनाए गए सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति है। भारत सरकार अन्य राज्यों से अपील करेगी कि इस किसान आंदोलन से संबंधित केसों को अन्य राज्य भी वापस लेने की कार्रवाई करें।
3. मुआवजे पर हरियाणा और यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। उपरोक्त दोनों विषयों के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा की है।
4. बिजली बिल में किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स/संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी। उससे पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा।
5. पराली के मुद्दे पर भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है उसकी धारा में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसानों को मुक्ति दी है।
किसानों की पांच सदस्यीय कमेटी ने संशोधित प्रस्ताव पर कहा कि सहमति बन गई है। हालांकि इसके लिए गुरुवार को अधिकृत पत्र देने की मांग की है। समिति सदस्य अशोक धवले ने कहा कि नया प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया है। हालांकि उन्होंने कहा कि हम चेतावनी देते हैं कि यह अब तक केवल प्रस्ताव है। यह गुरुवार तक सरकारी पत्र के रूप में मिलना चाहिए।