नई दिल्ली। संसद का विशेष सत्र (Parliament Special Session) 18 से 22 सितंबर के बीच बुलाया गया है। इस सत्र में 5 बैठकें होंगी। बता दें कि ये 17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261 वां सत्र होगा। अमृत काल के बीच संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) में सार्थक चर्चा और बहस की उम्मीद है।
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बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 85 (Article 85) में संसद का सत्र बुलाने का प्रावधान है। इसके तहत सरकार को संसद के सत्र बुलाने का अधिकार है। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति निर्णय लेती है जिसे राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप दिया जाता है, जिसके जरिए सांसदों (संसद सदस्यों) को एक सत्र में बुलाया जाता है।
संसद के इस विशेष सत्र के एजेंडे के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। संसदीय कार्य प्रहलाद जोशी ने कहा कि संसद के इस विशेष सत्र में पांच बैठकें होंगी। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि अमृत काल के बीच आयोजित होने वाले इस विशेष सत्र के दौरान संसद में सार्थक चर्चा को लेकर आशान्वित हैं।
केंद्र सरकार की तरफ से अभी यह साफ तौर पर नहीं बताया गया है कि ऐसे कौन से बिल हैं? जिन्हें पास कराने के लिए यह विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। इस बार मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहा था, जिसके चलते संसद के दोनों सदनों में ज्यादा कामकाज नहीं हो पाया था। सूत्रों के मुताबिक, इस सत्र के दौरान 10 से ज्यादा महत्वपूर्ण बिल पेश किए जाएंगे। संविधान के 44वें संशोधन अधिनियम के अनुच्छेद 352(8) के तहत लोकसभा का एक विशेष सत्र आयोजित किया जाता है। यदि लोकसभा के कम से कम दसवें सदस्य राष्ट्रपति (यदि लोकसभा सत्र में नहीं है) या अध्यक्ष (यदि लोकसभा सत्र में है) को लिखते हैं, तो लोकसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।
संसद के एक वर्ष में तीन सत्र होते हैं। सबसे लंबा, बजट सत्र (पहला सत्र) जनवरी के अंत में शुरू होता है और अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह तक समाप्त हो जाता है। इस सत्र में एक अवकाश होता है ताकि संसदीय समितियां बजटीय प्रस्तावों पर चर्चा कर सकें। दूसरा सत्र तीन सप्ताह का मानसून सत्र होता है, जो आमतौर पर जुलाई माह में शुरू होता है और अगस्त में खत्म होता है। शीतकालीन सत्र यानी तीसरे सत्र का आयोजन नवंबर से दिसंबर तक किया जाता है।