लखनऊ। यूपी (UP) की राजधानी लखनऊ में बुधवार को बहुजन समाज पार्टी (BSP) की बड़ी बैठक प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई थी। इस बैठक में प्रदेश के सभी मंडल एवं जिला स्तर के पदाधिकारी शामिल हुए । बंद कमरे में हुई इस बैठक में बीएसपी सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) ने अपने नेताओं और पदाधिकारियों से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की। पूर्व सीएम इस दौरान पिछले दिनों पार्टी द्वारा शुरू किए गए गांव चलो अभियान की समीक्षा भी की।
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बसपा (BSP) सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक में मायावती (Mayawati) ने पार्टी के पदाधिकारियों से संगठन की मजबूती और जनाधार के विस्तार पर खास फोकस करने को कहा है। बसपा सुप्रीमो ने बीजेपी सरकार के साथ-साथ विपक्षी नेताओं की गतिविधियों पर भी नजर बनाए रखने को कहा है। उन्होंने आगामी चुनाव में पार्टी कौन-कौन से मुद्दे को लेकर मैदान में उतरेगी, इसका भी जिक्र किया। पूर्व सीएम ने कहा कि प्रदेश की जनता महंगाई, अशांति, अशिक्षा, बेरोजगारी, सांप्रदायिक तनाव, महिला असुरक्षा, गरीबी जैसे सामाजिक मुद्दों से त्रस्त है। साथ ही बिजली , पानी सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है।
मुसलमानों को लुभाने की फिर कोशिश
मायावती (Mayawati) ने एकबार फिर मुसलमानों को लुभाने का दांव चला है। उन्होंने योगी सरकार (Yogi Government) द्वारा मदरसों की हो रही जांच पर सख्त ऐतराज जताते हुए इसे गलत बताया। बसपा सुप्रीमो ने मीटिंग में कहा कि यूपी समेत अन्य राज्यों की बीजेपी सरकारों को कथित लैंड जिहाद, लव जिहाद, मदरसा जांच, बुलडोजर राजनीति, धर्मातरण तथा धार्मिक उन्माद फैलानी वाली संकीर्ण बयानों और नफरती कार्रवाईयों से बचना होगा।
बीजेपी कर रही है ध्यान भटकाने की कोशिश
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पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) ने बैठक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को निशाना पर लेते हुए कहा कि असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भावनात्मक मुद्दों को उछाला जा रहा है। बसपा मुखिया ने कहा कि बीजेपी सरकार महंगाई, बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए जातिवादी, साम्प्रदायिक व धार्मिक विवादों को जानबूझकर शह दे रही है। उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है लेकिन सरकार इसको नजरअंदाज कर रही है।
साल 2024 के चुनावी रण में अकेले उतरने का ऐलान कर चुकीं मायावती (Mayawati) अपने कैडर को रिचार्ज करने में जुट गई हैं। लगातार मिल रही चुनावी शिकस्तों से बसपा के कैडर का मनोबल गिरा है। अपने शीर्ष नेता की कम सक्रियता के कारण भी उनमें बेचैनी है। एक तरफ जहां बसपा अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रही है, वहीं सपा समेत अन्य विपक्षी दल एकसाथ लामबंद होने की कोशिश कर रहे हैं।
बसपा का गांव चलो अभियान
बहुजन समाज पार्टी (BSP) की तमाम रणनीतियां चुनाव में विफल हो जा रही हैं। जिसके कारण उनका आधार वोट भी बीजेपी और सपा की ओर शिफ्ट होता जा रहा है। इसे रोकने और पिछड़े एवं मुस्लिम समुदाय को दोबारा पार्टी से जोड़ने के लिए बीएसपी (BSP) ने गांव चलो अभियान की शुरूआत की है। जिसके जरिए भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के विचारों को दलितों और पिछड़ों तक पहुंचाया जा रहा है और खासकर इन तबकों के युवाओं को बसपा (BSP) में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मायावती (Mayawati) के लिए यह अभियान काफी अहम है, इसलिए आज होने वाली बैठक में वो इसकी समीक्षा करेंगी। समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव (Samajwadi Party supremo Akhilesh Yadav) का पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) वाले दांव ने उनकी चुनौती बढा दी है।