नई दिल्ली। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Union Railway Minister Ashwini Vaishnav) ने शुक्रवार को सूरत के सरोली में बुलेट ट्रेन परियोजना (bullet train project) के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। इस परियोजना में भारत का पहला हाई-स्पीड रेल टर्नआउट (High-speed rail turnouts) भी शामिल है, जहां ट्रेनें 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगी। वैष्णव ने कहा कि परियोजना का पहला परिचालन खंड 2027 में सूरत और बिलिमोरा के बीच होने की उम्मीद है। बुलेट ट्रेन परियोजना का पहला खंड जो चालू होगा, वह सूरत से बिलिमोरा है।
पढ़ें :- गोरखपुर-पीलीभीत एक्सप्रेस का विस्तार: केंद्रीय रेल मंत्री के साथ जितिन प्रसाद ने वर्चुअल माध्यम से हरी झंडी दिखा कर जनता को किया समर्पित
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि स्टेशन और ट्रैक बिछाने के काम का निरीक्षण किया है। यह वास्तव में अच्छी प्रगति है। पटरियों पर काम में कई नई तकनीकों को पेश किया गया है। ये नई तकनीकें बुलेट ट्रेन (bullet train) परियोजना के लिए अद्वितीय हैं। हम देश की कई अन्य परियोजनाओं में इसका लाभ उठाएंगे। अगर आप स्टेशन को देखें, तो वहां भी एक विशेषता है। सभी ट्रेनें सूरत स्टेशन (Surat Station) पर रुकेंगी, दो ट्रैक किनारे पर और दो बीच में हैं, यहां दो प्लेटफ़ॉर्म हैं – एक मुंबई की ओर और दूसरा अहमदाबाद की ओर और बीच में एक विशाल कॉन्कोर्स है। हाई-स्पीड रेल टर्नआउट विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हैं। जब ट्रेनें 320, 330 या 340 किमी/घंटा की गति से चलती हैं और दो ट्रैक जुड़ते हैं, तो कोई गैप नहीं होना चाहिए। सूरत से बिलिमोरा का पहला खंड 2027 में चालू हो जाएगा।
रेल मंत्री ने कहा कि सारोली साइट पर बुलेट ट्रेन स्टेशन को आधुनिक यात्री सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। जिसमें प्रतीक्षालय, नर्सरी, शौचालय, खुदरा दुकानें और खरीदारी स्थल शामिल हैं। सुगम और सुलभ आवागमन सुनिश्चित करने के लिए, कई लिफ्ट और एस्केलेटर लगाए जा रहे हैं। बुजुर्ग यात्रियों, विकलांग व्यक्तियों और बच्चों वाले परिवारों की ज़रूरतों पर विशेष ध्यान दिया गया है। स्पष्ट संकेत, सूचना कियोस्क और सार्वजनिक घोषणा प्रणाली जैसी यात्री-अनुकूल सुविधाएं भी जोड़ी जा रही हैं। बुलेट ट्रेन परियोजना तेज़ी से आगे बढ़ रही है और ट्रैक टर्नआउट निर्माण के लिए जापानी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इस तकनीक से देश की कई अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भी लाभ होगा।