सावधानियों के बावजूद बच्चों की मांसपेशियों में जकडन, चिडचिडापन, सिरदर्द, अधिक पसीना आना, उल्टी, शरीर का तापमान अत्यधिक बढऩा जैसे लू लगने के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में प्राथमिक चिकित्सा के उपाय लाभदायी रहेंगे। बच्चे को तुरंत किसी कमरे के अंदर या छांव में लायें या बच्चे के कपड़ों को ढीला कर दें, बच्चे को सामान्य स्थिति में पैरों को थोड़ा सा ऊपर कर के लिटायें। बच्चे के शरीर को ठंडे पानी से पोंछें या बच्चे पर हल्का सा सामान्य पानी का छिडकाव करें। यदि बच्चा सुस्त या बेहोश है या उसे उल्टी आ रही है तो उसे तरल पदार्थ न पिलायें। अगर मुॅह से हल्का-हल्का झाग निकले या बुदबुदाहट हो तो उसे साफ कपड़े से पोंछें, बच्चे की आंखों को साफ कपड़े से ढके, जीभ कटने से रोकने के लिये दांतो के बीच में एक साफ कपड़ा रखें।
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गर्मी के मौसम में लू से बचने के उपाय
शरीर को पानी की कमी से बचायें, पर्याप्त मात्रा में पानी पियें। अनावश्यक तेज धूप में न निकलें, धूप में निकलना जरूरी हो तो तौलिया, गमछा, स्कार्फ से सर तथा चेहरे को ढक कर रखें, केप, धूप का चश्मा एवं छतरी का प्रयोग अवश्य करें। धूप में निकलने से पहले एक से दो ग्लास एवं दिन भर में तीन से चार लीटर पानी अवश्य पियें
ओ.आर.एस. का घोल, साधारण पानी, नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी, फलों के रस का सेवन गर्मियों में लाभदायी है। घर में बने पेय जैसे -नींबू पानी, छाछ, मठा, लस्सी, फलों का रस आदि में नमक डालकर सेवन करें। घर से बाहर निकलते समय एवं यात्रा के लिये पानी साथ रखें। ऐसे फल व सब्जियों का सेवन करें जिनमें पर्याप्त मात्रा में पानी होता है जैसे तरबूज, खरबूज, संतरा, अंगूर, ककड़ी आदि। शरीर को ढांक कर रखें- पतले, ढीले एवं हल्के रंग के सूती वस्त्रों को पहनें। बाहर जाते समय जूते, चप्पल, सैंडल पहनें। बुखार या लू लगने पर जल्द से जल्द नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में सम्पर्क करें एवं आवश्यक उपचार लें।
बच्चों को ORS का घोल कितनी मात्रा में देना चाहिए
प्रत्येक चार घंटे पर ओ.आर.एस. के घोल की दी जाने वाली मात्रा इस प्रकार है छ: माह से एक वर्ष दो से तीन गिलास,एक से दो साल तीन से चार गिलास एवं दो से पांच साल चार से छ: गिलास। बच्चे को आगामी उपचार हेतु जल्द से जल्द नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर ले जायें।