ओडिशा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओडिशा के भुवनेश्वर में ‘सुभद्रा’ योजना और अन्य विकास परियोजनाएं की शुरूआत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि, भगवान जगन्नाथ की कृपा से एक बार फिर मुझे ओडिशा की पावन धरती पर आने का सौभाग्य मिला है। जब भगवान जगन्नाथ की कृपा होती है, जब भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद मिलता है, तो भगवान जगन्नाथ की सेवा के साथ जनता जनार्दन की सेवा का भरपूर अवसर मिलता है। आज देशभर में गणेश उत्सव की धूम है, गणपति को विदाई दी जा रही है, आज अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व भी है और आज ही विश्वकर्मा पूजा भी है। दुनिया में भारत ही ऐसा देश है, जहां श्रम और कौशल को विश्वकर्मा के रूप में पूजा जाता है। मैं सभी देशवासियसों को विश्वकर्मा जयंती की अनेक शुभकामनाएं देता हूं।
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इसके साथ ही कहा, ओडिशा में भाजपा के नेतृत्व में नई सरकार बनते समय मैं शपथ ग्रहण समारोह में आया था, उसके बाद ये मेरी पहली यात्रा है। जब चुनाव चल रहे थे, तब मैंने आपसे कहा था कि यहां डबल इंजन की सरकार बनेगी, तब ओडिशा उड़ान भरेगा। आज केंद्र की एनडीए सरकार के 100 दिन भी हो रहे हैं। इस दौरान, गरीब, किसान, नौजवान और नारीशक्ति के सशक्तिकरण के लिए बड़े-बड़े फैसले लिए गए हैं। हाल में ही धान किसानों, तिलहन और प्याज किसानों के लिए बड़ा निर्णय लिया गया है। विदेशी तेल के आयात पर शुल्क बढ़ाया गया है, ताकि देश के किसानों से ज्यादा कीमत पर खरीद हो। इसके अलावा बासमती के निर्यात पर लगने वाला शुल्क घटाया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, कोई भी देश, कोई भी राज्य तभी आगे बढ़ता है, जब उसके विकास में उसकी आधी आबादी यानी हमारी नारी शक्ति की बराबर भागीदारी होती है। इसलिए महिलाओं की उन्नति, महिलाओं का बढ़ता सामर्थ्य ओडिशा के विकास का मूल मंत्र होने वाला है। भारत में महिला सशक्तिकरण का एक और प्रतिबिंब है-प्रधानमंत्री आवास योजना। इस योजना के कारण अब छोटे से छोटे गांव में संपत्ति महिलाओं के नाम होने लगी है। आज ही यहां देशभर के करीब 30 लाख परिवारों का गृह प्रवेश करवाया गया है।
यहां आने से पहले, मैं एक आदिवासी परिवार के गृह प्रवेश के कार्यक्रम में उनके घर भी गया था। उस परिवार को अपना नया पीएम आवास मिला है। उस परिवार की खुशी, उनके चेहरों का संतोष… मैं कभी नहीं भूल सकता। उस परिवार की एक बहन ने मुझे खुशी से खीर भी खिलाई और जब मैं खीर खा रहा था, तब मुझे अपनी मां की याद आई। क्योंकि जब मेरी मां जीवित थी, तो मैं जन्मदिन पर हमेशा मां का आशीर्वाद लेने जाता था और मां मुझे गुड़ खिलाती थी। मां तो नहीं है, लेकिन आज एक आदिवासी मां ने मुझे खीर खिलाकर जन्मदिन का आशीर्वाद दिया। ये अनुभव, ये एहसास मेरे पूरे जीवन की पूंजी है।
उन्होंने आगे कहा, गणेश उत्सव हमारे देश के लिए सिर्फ आस्था का पर्व नहीं है। गणेश उत्सव ने हमारे देश की आजादी में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। जब सत्ता की भूख में अंग्रेज देश को बांटने में लगे थे, देश को जातियों के नाम पर लड़वाना, समाज में जहर घोलना, बांटो और राज करो उनका हथियार बन गया था। तब लोकमान्य तिलक ने गणेश उत्सव के सार्वजनिक आयोजनों के जरिए भारत की आत्मा को जगाया था। ऊंच, नीच, भेद-भाव… इन सब से ऊपर उठकर हमारा धर्म हमें जोड़ना सिखाता है।
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बांटो और राज करो की नीति पर चलने वाले अंग्रेजों की नजरों में उस समय भी गणेश उत्सव खटकता था, आज भी समाज को बांटने और तोड़ने में लगे सत्ता के भूखे लोगों को गणेश पूजा से परेशानी हो रही है। आपने देखा होगा, कांग्रेस और उसके इकोसिस्टम के लोग इसलिए भड़के हुए हैं, क्योंकि मैंने गणेश पूजन में भाग लिया था।