Gayatri Prasad Prajapati Gang rape case: गैंगरेप मामले (Gang rape case) में गायत्री प्रसाद प्रजापति को शुक्रवार को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा हुई है। वहीं दो-दो लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। गायत्री प्रजापति (Gayatri Prajapati) यूपी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बता दें कि चित्रकूट की एक महिला ने अपनी बेटी से गैंगरेप का ये आरोप लगाया था। ये तीनों लोग गैंगरेप और पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) की धाराओं में दोषी पाए गए हैं। वहीं इस मामले में विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल, रूपेश्वर उर्फ रूपेश बरी कर दिए गए हैं।
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बता दें कि समाजवादी सरकार (Samajavadi Government) में गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) खनन मंत्री रह चुके हैं। गायत्री और छह अन्य लोगों पर चित्रकूट की एक महिला ने अपनी नाबालिग बेटी संग गैंगरेप (Gang rape) का आरोप लगाया था। यह सजा पाक्सो एक्ट (POCSO Act) मामले में एमपी/ एमएलए अदालत ने सुनाई है। बता दें कि नौकरी दिलाने के नाम पर चित्रकूट की एक महिला से गैंगरेप और उसकी नाबालिग बेटी से रेेप की कोशिश के मामले में 10 नवम्बर को कोर्ट ने प्रजापति और उनके दो साथियों को दोषी करार देते हुए सजा के लिए आज की तारीख मुकर्रर कर दी थी।
अभियोजन पक्ष ने तीनों आरोपियों के लिए सख्त सजा की मांग की थी। भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के प्रावधानों के अनुसार सामूहिक दुराचार में अधिकतम 20 वर्ष और पाक्सो एक्ट के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। इस मामले में अदालत ने गायत्री प्रजापति (Gayatri Prajapati) , अशोक तिवारी और आशीष कुमार शुक्ला को महिला से सामूहिक दुष्कर्म करने के अलावा नाबालिग बेटी से दुराचार करने के प्रयास का दोषी पाया था।
कोर्ट ने इसी मामले में गिरफ्तार चार सह आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति (Former Minister Gayatri Prajapati) के साथ जिला जेल में बंद रहे चारों सह आरोपियों को गुरुवार की रात जेल से रिहा कर दिया गया था। अदालत ने बुधवार को इन्हें बरी कर दिया था। यह सभी गायत्री के साथ वर्ष 2017 से जिला जेल में बन्द थे। सामूहिक दुष्कर्म और पास्को एक्ट (POCSO Act) में शुक्रवार को अदालत ने पूर्व मंत्री गायत्री, अशोक तिवारी और आशीष को दोषी करार दिया था। जबकि अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, विकास वर्मा, चंद्रपाल एवं रूपेश को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया था।
18 फरवरी 2017 को लखनऊ के थाने में दर्ज हुआ था केस
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इस मामले की रिपोर्ट चित्रकूट की रहने वाली महिला ने 18 फरवरी 2017 को लखनऊ के गौतम पल्ली थाने पर दर्ज कराई गई थी। महिला ने आरोप लगाया कि उसे नौकरी दिलाने और घर पर काम करने के बहाने लखनऊ लाया गया था। यहां गायत्री और उसके सहयोगियों ने उसके साथ सामूहिक दुराचार (Gang rape ) किया। वर्ष 2014 से जुलाई 2016 तक उसका शारीरिक शोषण किया जाता रहा। वह सब कुछ सहती रही लेकिन जब इन लोगों ने उसकी 16 साल की बेटी से भी दुष्कर्म करने का प्रयास किया तो वह चुप नहीं बैठी। महिला का आरोप है कि आरोपियों ने उसे खनन का काम और नौकरी दिलाने के नाम पर लखनऊ बुलाया और अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर उसके साथ रेप किया। महिला का आरोप है कि घटना की विस्तृत शिकायत पुलिस महानिदेशक से भी की गई थी पर कोई कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट के सामने विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई। जिस पर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश हुआ।