नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी धीरे-धीरे देश की राजधानी दिल्ली से बाहर बढ़ रही है। आप का विस्तार उस समय में हो रहा है, जब बीजेपी के सामने विपक्ष को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने हाल ही में गुजरात नगर निगम चुनाव में शानदार एंट्री मारी और दिल्ली नगर निगम उपचुनाव में दूसरे दलों को उसने काफी पीछे छोड़ दिया है। आम आदमी पार्टी को जहां दिल्ली तक ही सीमित बताकर हर बार खारिज किया जाता रहा है। आप की यह जीत चंद सीटों की हो सकती है, लेकिन जिस तरीके से पार्टी निकाय चुनावों में बेहतर कर रही है उससे दूसरों की टेंशन बढ़ने वाली है और इसके कई मायने भी हैं।
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ऐसा नहीं है कि आम आदमी पार्टी पहली बार दिल्ली से बाहर कहीं चुनाव लड़ रही हो। दिल्ली से बाहर पहले भी कई राज्यों में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ चुकी है। नतीजे देखने के कहा जाने लगा कि बस दिल्ली तक सीमित रहेगी पार्टी। दिल्ली समेत आप के दूसरे नेताओं को भी यह समझ आ रहा था कि चुनाव लड़ने के साथ ही साथ उन राज्यों में पार्टी को भी मजबूत करना होगा। अपने पहले के अनुभवों को देखकर आप ने थोड़ी रणनीति बदली और उन चुनावों से एंट्री मारी जहां से पार्टी को सबसे अधिक मजबूती मिलती है।आप ने निकाय चुनाव लड़ने का फैसला किया। यह वह चुनाव होते हैं जहां आपको जीत मिली,तब पार्टी भी मजबूत होती है। गुजरात निकाय चुनाव में आप ने एंट्री मारी और उसे सफलता भी हाथ लगी। सूरत समेत दूसरे इलाकों में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया।
यूपी में भी आम आदमी पार्टी लगातार अपने आपको मजबूत करने में लगी है। अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। आप आगामी विधानसभा चुनाव से पहले संगठन के विस्तार और पार्टी को मजबूत करने में लगी है। योगी सरकार को घेरने का कोई मौका पार्टी चूक नहीं रही है। राज्यसभा सांसद संजय सिंह, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल मोर्चा संभाले हुए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में पंचायत चुनाव होने वाले हैं। यूपी के पंचायत चुनाव में दूसरे दलों के साथ ही आम आदमी पार्टी भी अपने उम्मीदवार उतारने वाली है।
हर जिले के हिसाब से कमेटी का गठन किया गया है और इस पर पार्टी के बड़े नेताओं की ओर से लगातार नजर रखी जा रही है। स्थानीय स्तर पर अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को जोड़ा जा रहा है। नेताओं की ओर से दिल्ली में मिल रही सुविधाओं की जिक्र किया जा रहा है और प्रदेश सरकार पर लगातार हमला बोला जा रहा है। यूपी में आप की मजबूती से सीएम योगी समेत दूसरे विपक्षी दलों की भी टेंशन बढ़ जाएगी।