नई दिल्ली। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव सैफई परिवार की सियासी पटकथा में नई इबारत लिखेगा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने पिता की सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को उतारकर एक तीर से दो निशाने साधा है। पहला पिता की विरासत खुद से दूर नहीं जाने दी और दूसरा चाचा शिवपाल यादव को मैदान से हटने पर मजबूर कर दिया।
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बता दें कि अखिलेश-शिवपाल के बीच सेतु की भूमिका अदा करने के लिए भी कोई नहीं बचा है। ऐसे में शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी को असल समाजवादी बताया और अखिलेश पर चापलूसों से घिरे होने का आरोप लगाया। शिवपाल ने भतीजे के खिलाफ तेवर दिखाते हुए ये भी कहा कि जो परिवार का नहीं हुआ, वो किसी का नहीं होगा। माना जा रहा था कि शिवपाल मैनपुरी से दम ठोंककर अखिलेश के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
ऐसे में अखिलेश यादव चाचा शिवपाल के तेवर भांपते हुए अखिलेश ने यहां से डिंपल यादव को उम्मीदवार बना दिया। इस दांव से चाचा शिवपाल भी जैसे चित हो गए। शिवपाल यादव की पार्टी के मैनपुरी जिलाध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि उपचुनाव में मैनपुरी लोकसभा सीट पर प्रसपा अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी।
शिवपाल ने भले ही उपचुनाव में सपा को वाकओवर दे दिया हो, लेकिन बीजेपी पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव बीजेपी में हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बाद पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी से उनकी मुलाकात हो चुकी है। माना जा रहा है कि बीजेपी मैनपुरी सीट पर अपर्णा यादव को चुनाव लड़ाने के लिए मंथन कर रही है।
बता दें कि बीजेपी के लोकसभा प्रभारी मानवेन्द्र सिंह ने मैनपुरी में डेरा जमा रखा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद मुलायम सिंह यादव मैनपुरी सीट पर करीब 95 हजार वोट से जीत पाए थे, लेकिन अब नेताजी के नहीं होने के चलते बीजेपी को लगता है कि इस अंतर को वो पाट सकती है। यही वजह है कि डिंपल के खिलाफ कद्दावर चेहरा तलाशा जा रहा है।
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