पढ़ें :- Lucknow-Agra Expressway Accident: लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर डिवाइडर तोड़ ट्रक से टकराई कार, पांच डॉक्टरों की मौत
प्रयागराज: प्रदेश में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) लागू होने के बाद योगी सरकार (Yogi Government) ने परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प कर दिया है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। योगी सरकार (Yogi Government) प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फर्जी इनरोलमेंट रोकने के लिए आधार कार्ड भी अनिवार्य कर दिया है। अब योगी सरकार (Yogi Government) इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर (Unique Identification Number) लागू करने जा रही है। अगस्त माह से पूरे प्रदेश में इसकी शुरुआत होने जा रही है।
इससे न केवल सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में इनरोलमेंट करने का फर्जीवाड़ा रुकेगा। बल्कि एक ही यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर से बेसिक से लेकर हायर एजुकेशन तक बच्चे की पढ़ाई भी हो सकेगी और इसके जरिए यह भी पता लगाया जा सकेगा कि कितने बच्चे ड्रॉपआउट हैं, यानि उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है। बच्चों की ट्रेसिंग भी यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर (Unique Identification Number) से आसान हो सकेगी।
बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज प्रवीण कुमार तिवारी के मुताबिक प्रयागराज में 95 फ़ीसदी बच्चे आधार कार्ड से लिंक कर दिए गए हैं। उनके मुताबिक आधार कार्ड लिंक ना होने की वजह से बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा था। कई बच्चों का इनरोलमेंट सरकारी स्कूलों में था, लेकिन वह प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे थे और सरकारी योजनाओं का भी गलत तरीके से लाभ उठा रहे थे। बीएसए (BSA) के मुताबिक अगस्त-सितंबर से पोर्टल से यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर (Unique Identification Number) यानी यू आई एन रजिस्ट्रेशन नंबर जनरेट हो जाएगा। जब तक बच्चा पढ़ेगा तब तक वही यूआईएन नंबर (UIN Number) रहेगा। यूआईएन नंबर (UIN Number) भी आधार से लिंक रहेगा। जिससे हर स्टूडेंट की ट्रेसिंग और ट्रैकिंग की जा सकेगी।
सरकारी सुविधाओं के दुरुपयोग में लगेगी रोक
पढ़ें :- जानें कौन हैं जय भट्टाचार्य? जिनको डोनाल्ड ट्रंप ने NIH में सौंपा अहम रोल
इसके जरिए सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग रोका जा सकेगा। इसके साथ ही सरकार यह भी चिन्हित कर सकेगी कि बच्चे कहां पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, या फिर जिन बच्चों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है उन्हें चिन्हित कर दोबारा शिक्षा की ओर लौट आने में भी मदद मिलेगी। इस अभियान के जरिए बच्चों के लर्निंग आउटकम में भी सुधार किया जा सकेगा।इसके साथ ही शिक्षक और छात्र के अनुपात को भी संतुलित किया जा सकेगा। बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी के मुताबिक इस कवायद से न केवल सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग रुकेगा। बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार भी आएगा। उनके मुताबिक अगस्त माह से स्कूलों में टेबलेट्स भी आ जाएंगे। जो कि फेस रीडर से अटैच होंगे, जिसमें फेशियल आईडी रिकॉग्निशन होगा। इससे सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले हर एक बच्चे का आईडेंटिफिकेशन किया जा सकेगा।
बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी (BSA Praveen Kumar Tiwari) के मुताबिक पिछले वर्ष जहां सरकारी स्कूलों में बच्चों का इनरोलमेंट बढ़ाने पर फोकस किया गया था। वहीं इस साल सभी इनरोलमेंट को प्रेरणा पोर्टल पर फीड कर उसके प्रमाणीकरण पर जोर दिया जा रहा है। उनके मुताबिक यू डायस (U-DISE) में हर साल डाटा भरा जाता था। लेकिन प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की वजह से बच्चों के डाटा फीड नहीं होते थे। उनके मुताबिक बेसिक शिक्षा विभाग इस पर सख्ती बरतेगा। हालांकि उन्होंने कहा है कि प्राइवेट स्कूल इस बार भी बच्चों का डाटा यू डाइस पर भरने में आनाकानी कर रहे हैं। लेकिन इसे रोका जाएगा और जो बच्चों के इनरोलमेंट में फर्जीवाड़ा होगा उसे भी रोका जाएग। जो पात्र बच्चे हैं उन्हें ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिले यह सुनिश्चित किया जाएगा।
हर बच्चे की होगी ट्रैकिंग
बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी (BSA Praveen Kumar Tiwari) के मुताबिक परिवार सर्वेक्षण में इस बार बेसिक शिक्षा विभाग ने बदलाव किया है। इसमें हर बच्चे की ट्रैकिंग की जा रही है। हर बच्चे का आधार नंबर लिया जा रहा है। जिन बच्चों का आधार नहीं बना है, हर संकुल पर बायोमेट्रिक मशीन लगाकर आधार रहित बच्चों का आधार कार्ड बनाया जाएगा। उनके मुताबिक सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है कि शत-प्रतिशत आधार इनरोलमेंट हो जाए। ताकि प्रेरणा ऐप के माध्यम से बच्चों का एथेंटिफिकेशन भी हो सके। जिससे यह पता चल सके कि वह बच्चे कहां है, सही बच्चे विद्यालय आ सकेंगे। बीएसए के मुताबिक इस कवायद से बच्चों की अनुपस्थिति पर भी रोक लग सकेगी। इसके अलावा जो बच्चों की फर्जी उपस्थिति है,उस प्रवृत्ति पर भी रोक लगाई जा सकेगी। बीएसए के मुताबिक इसके माध्यम से धीरे-धीरे बेसिक शिक्षा में सुधार की दिशा में आगे बढ़ेंगे।