नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच रोजाना हजारों मौत हो रही है। इसके बाद पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावी रैलियों पर भी सवाल उठने लगे हैं। कई लोगों द्वारा लगातार सवाल उठाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने 16 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
पढ़ें :- BPSC Exam : लाठीचार्ज मामले में चढ़ा बिहार का सियासी पारा, विपक्ष,बोला- बीपीएससी अभ्यर्थियों पर से आतंकियों, क्रूर अपराधियों जैसा व्यवहार क्यूं?
वहीं बैठक से पहले अफवाहों का दौर भी शुरू हो गया है। बता दें कि मीडिया में ये बात सामने आ रही है कि मतदान के बचे हुए चरणों को एक ही चरण में करवाने की योजना चल रही है लेकिन अब चुनाव आयोग ने इस अफवाह को सिरे से नकार दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है।
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आरिज आफताब ने 16 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीईओ और राज्य में सभी जिलाधिकारियों को चुनाव के बाकी चार चरणों में प्रचार के दौरान कोविड-19 के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में सभी राजनीतिक दलों से बैठक के लिए केवल एक प्रतिनिधि भेजने को कहा गया है। बैठक में बाकी चार चरणों के लिए चुनाव प्रचार से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक दूरी और कोविड-19 से जुड़े विभिन्न नियमों के पालन को लेकर चर्चा की जाएगी। अधिकारी ने कहा कि राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) जग मोहन और राज्य के स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम भी बैठक में मौजूद रहेंगे।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिया था कि कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी के मद्देनजर विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों के प्रचार के संबंध में स्वास्थ्य संबंधी सभी निर्देशों का कड़ाई से पालन होना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश टी बी एन राधाकृष्णन की पीठ ने दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया था कि वे निर्वाचन आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें।