नई दिल्ली। नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख व सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला (National Conference chief and MP Dr. Farooq Abdullah) ने कहा कि भाजपा जनता से झूठ बोलती है। यह पार्टी चुनावों में नफरत और धर्म-जाति के नाम पर वोट मांगती है। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में 750 किसानों ने शहादत दी है।
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जिस बात की पुष्टि खुद जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Former Governor of Jammu and Kashmir Satya Pal Malik) ने किसानों का समर्थन करते हुए कही है। फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा कि सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) ने भाजपा (BJP) को यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Elections of UP) में हार के संकेत दिए थे। पांच राज्यों में हार को देखते हुए मोदी सरकार (Modi Government) ने कृृषि कानून रद्द कर दिए। डॉ. फारूक अब्दुल्ला ( Dr. Farooq Abdullah) मंगलवार को शेर-ए-कश्मीर भवन जम्मू (Sher-e-Kashmir Bhawan Jammu) में नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) के केंद्रीय जोन जम्मू (Central Zone Jammu) के एक दिवसीय सम्मेलन में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में अफसरशाही से आम लोगों की सुनवाई नहीं हो रही है। खुद भाजपा के पूर्व उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता (Former Deputy Chief Minister of BJP Kavindra Gupta) कहते हैं कि अफसरशाही को खत्म करें नहीं तो यहां के लोग बर्बाद हो जाएंगे। हर तरफ तानाशाही है, अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं। नए कृषि कानूनों पर संसद में विपक्ष को बोलने का मौका नहीं दिया गया। संसद का काम देश के मसलों का हल करना है और इसके लिए बहस जरूरी है। लेकिन देश में लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। भाजपा सोच रही है कि उसके पास पूर्ण बहुमत है तो वे कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन समय इसका जवाब देगा।
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ( Dr. Farooq Abdullah) ने कहा कि हम शांति से अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य के लोगों ने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के भारत को स्वीकार किया है न कि नाथूराम गोड़से (Nathuram Godse) के भारत को। नफरत और सांप्रदायिक राजनीति (Hate and Communal Politics) देश के हित में नहीं है और भाजपा (BJP) को इसे बेहतर तरीके से समझना चाहिए। हम देशद्रोही नहीं हैं और कभी भी देश के खिलाफ नहीं बोला है। आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं को नजरअंदाज करके सरकारी नौकरियों में बाहर के लोगों को लगाया जा रहा है।