नई दिल्ली। गुजरात का फिशरीज़ सेक्टर (Fisheries Sector) बहुत ज़्यादा ग्रोथ देख रहा है, जिसकी पहचान प्रोडक्शन में तेज़ी, एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी और सरकार की तरफ़ से काफ़ी इन्वेस्टमेंट से है। सरकारी डेटा से पता चलता है कि गुजरात से मछली एक्सपोर्ट (fish export) की वैल्यू 2001 में 625 करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में छह हजार करोड़ रुपए से ज़्यादा हो गई है। यह लगभग दस गुना बढ़ोतरी है जो भारत की मरीन इकॉनमी (marine economy) में राज्य की बढ़ती अहमियत को दिखाता है।
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भारत की सबसे लंबी 2,340 किलोमीटर कोस्टलाइन (coastline) के साथ गुजरात ने देश के दूसरे सबसे बड़े मरीन मछली प्रोड्यूसर (Marine fish producer) के तौर पर अपनी जगह मज़बूत की है। पिछले चार सालों में एवरेज 8.56 लाख मीट्रिक टन का प्रोडक्शन हासिल किया है। नवसारी में अंबिका नदी के किनारे बना धोलाई पोर्ट इस ग्रोथ का एक बड़ा सेंटर बन गया है। 1995 में बना और 2007 से मछली पालन विभाग इसे चला रहा है। इस पोर्ट पर अब हर दिन सैकड़ों नावें आती हैं, जो इस इलाके में समुद्री गतिविधियों (marine activities) के बढ़ते पैमाने को दिखाता है। मछुआरों का कहना है कि इस तेज़ी से उनकी रोज़ी-रोटी में स्थिरता आई है और मौके बढ़े हैं। नाव के मालिक नरसीभाई टंडेल ने बताया कि वे समुद्र में लगभग 100 से 125 नॉटिकल मील का सफ़र करते हैं। ताज़ा पकड़ी हुई मछलियां लाते हैं और और लोकल बाज़ारों में बेचते हैं। उन्होंने आगे कहा कि महिला मछली व्यापारियों का एक नेटवर्क भी इन रोज़ाना की इनकम पर निर्भर करता है, जो समुदाय पर मछली पालन सेक्टर के बड़े असर को दिखाता है। गुजरात सरकार ने झींगा उत्पादन, कोल्ड स्टोरेज क्षमता, केज कल्चर और बाय-प्रोडक्ट प्रोसेसिंग यूनिट्स (Shrimp production, cold storage capacity, cage culture and by-product processing units) को बढ़ावा देने के मकसद से 1,622 करोड़ रुपए के मछली पालन पैकेज की घोषणा करके इस सेक्टर को और मज़बूत किया है। इन कोशिशों का मकसद समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर को मॉडर्न बनाना और पकड़ी हुई मछलियों से लेकर एक्सपोर्ट तक की वैल्यू चेन को बढ़ाना है। लोकल व्यापारियों का कहना है कि पोर्ट्स पर बढ़ी हुई गतिविधियों से उनकी कमाई भी बेहतर हुई है। मछली व्यापारी सुशीलाबेन ने बताया कि वे सीधे नाव मालिकों से मछली खरीदते हैं और कमीशन पर आगे बेचते हैं।