नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सोमवार को हंगामा कर रहे कांग्रेस के चार लोकसभा सांसदों पूरे मानसून सत्र (Monsoon session) के लिए निलंबित कर दिया है। जो सांसद निलंबित किए गए हैं, उनके नाम मणिकम टैगोर (Manickam Tagore), राम्या हरिदास (Ramya Haridas) , ज्योतिमणि (Jothimani) और टीएन प्रतापन (TN Prathapan) हैं। इसके साथ ही लोकसभा को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
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सदन में तख्तियां दिखाकर प्रदर्शन करने और आसन की अवमानना करने के मामले में कांग्रेस के चार सांसदों को चालू सत्र की शेष अवधि के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया। एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजे बैठक पुन: शुरू हुई तो पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने आवश्यक कागजात प्रस्तुत कराए। इस दौरान कांग्रेस के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। उनके हाथों में तख्तियां भी थीं। शोर-शराबे के बीच ही कुछ सदस्यों ने नियम 377 के तहत अपने विषय रखे।
इसके बाद पीठासीन सभापति अग्रवाल ने कहा कि कुछ सदस्य निरंतर तख्तियां आसन के सामने दिखा रहे हैं जो सदन की मर्यादा के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने भी इस संबंध में सदस्यों को चेतावनी दी थी। मानसून सत्र के छठे दिन सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष ने सदन के अंदर प्रदर्शन कर रहे सांसदों को तख्तियां न दिखाने की चेतावनी दी थी।
अग्रवाल ने कहा कि आसन के पास इन सदस्यों के नाम लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सदस्य कृपया इस चेतावनी का ध्यान रखें और किसी तरह की तख्ती नहीं दिखाएं। उन्होंने कांग्रेस के चारों सदस्यों को सदन की कार्यवाही से निलंबित किये जाने की घोषणा की।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आसन से चारों कांग्रेस सांसदों के खिलाफ कार्यवाही करने का अनुरोध किया और इस संबंध में सदन में प्रस्ताव रखा। अग्रवाल ने इसके बाद सदन की कार्यवाही अपराह्न करीब 3:50 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
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संसद परिसद के भीतर तख्तियां ले जाने पर लगा था प्रतिबंध
मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले संसद परिसर के भीतर तख्तियां ले जाने और विरोध प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। मणिकम टैगोर, राम्या हरिदास, जोतिणि और टीएन प्रतापन को एक अभूतपूर्व कार्रवाई में निलंबित कर दिया गया।
नियम 374 के तहत की गई कार्रवाई
कांग्रेस सांसदों यह कार्रवाई नियम 374 के तहत की गई है। नियमें जिद्द और जानबूझकर सदन की कार्यवाही रोकना शामिल है। इसके अलावा इस नियम में सीपकर के प्राधिकार की उपेक्षा करना और नियमों का दुरुपयोग भी शामिल है। इन सांसदों के खिलाफ पहले निलंबन प्रस्ताव दिया गया था जिसके बाद सर्वसम्मित ने सभी को निलंबित कर दिया गया है।