गोण्डा : गोण्डा जनपदवासियों के लिए अच्छी खबर है। उन्हें राजस्व न्यायालयों में अब तारीख पर तारीख नहीं लेनी पड़ेगी। अपनी कार्यशैली से जनता के बीच जगह बना जिलाधिकारी नेहा शर्मा (DM Neha Sharma) ने जनपदवासियों को राहत देने के लिए बड़ा फैसला लिया है। ग्राम चौपाल जैसी अनूठी पहल को सफलतापूर्वक लागू करने के बाद डीएम अब राजस्व न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों को लेकर गंभीर हो चली हैं। एक्शन में आई गोण्डा डीएम ने राजस्व न्यायालयों में पुराने वादों लम्बित होने के प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए इनके समयबद्ध रूप से निस्तारण करने के संबंध में सख्त निर्देश जारी किए हैं।
पढ़ें :- Ranji Trophy : हरियाणा के तेज गेंदबाज ने एक पारी में 10 विकेट लेकर मचाया तहलका; 39 साल बाद हुआ ये कारनामा
जनपद के राजस्व न्यायालयों में 5 वर्ष से अधिक अवधि के लम्बित वादों की सूची तैयार
जिलाधिकारी नेहा शर्मा (Gonda DM Neha Sharma) ने आदेश पर जनपद के राजस्व न्यायालयों (Revenue Courts) में 5 वर्ष से अधिक अवधि के लम्बित वादों की सूची तैयार की गई है। वहीं, इनका प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण सुनिश्चित करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। इसके लिए जुलाई माह में विशेष अभियान भी चलाया जाएगा। सभी राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह आगामी जुलाई माह में प्रत्येक कार्यदिवस पर अधिक से अधिक वादों की सुनवाई/निस्तारण सुनिश्चित करें तथा दैनिक प्रगति रिपोर्ट मुख्य राजस्व अधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी कार्यालय में प्रस्तुत की जाए।
जिलाधिकारी के आदेश पर जनपद के मुख्य राजस्व अधिकारी, अपर जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार के न्यायालयों में 05 वर्ष से अधिक अवधि से लम्बित वादों की सूची तैयार की गई है। डीएम द्वारा अधिक संख्या में पुराने वाद लम्बित होने के चलते चिंता व्यक्त करने के साथ ही इनको प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने हेतु विशेष अभियान संचालित करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि पुराने वादों की दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई करने एवं अधिक से अधिक वादों का प्रतिदिन निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।
पढ़ें :- Maharashtra Assembly Elections 2024 : महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में दरार का संकेत,अजित पवार ने बनाई पीएम की रैली से दूरी
लापरवाही पर होगी कार्यवाही
जिलाधिकारी राजस्व न्यायालयों में लम्बित वादों की संख्या को लेकर काफी गंभीर हैं। ऐसे में उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वादों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की लापरवाही कदापि स्वीकार नहीं की जाएगी। जिन न्यायालयों में मानक के अनुरूप वादों का निस्तारण नहीं होगा, उनके पीठासीन अधिकारियों का उत्तरदायित्व तय करते हुए अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी।