नई दिल्ली। टोक्यो में चल रहे खेलों के महाकुंभ ओलंपिक( Tokyo Olympics) में कुछ दिन पहले ही भारत ने अपने पदक का खाता खोला है। समस्त देशवासियों को गौरवान्वित होने का मौका दिया देश की बेटी मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने। मीरा ने भारात्तोलन के 49 किग्रा वर्ग में भारत के लिए रजत पदक जीता। इस मुकाबले के अगले ही दिन भारत की एक बेटी की जीत के कारण कल तक खुशी मना रही देश की जनता एक बेटी की हार का गम भी मनाने लगी। ये गम और भी बड़े गम में उस वक्त तब्दील हो गया जब इस हार का कारण सरकारी अव्यवस्था (Government disorder) मालूम पड़ी। दरअसल, मनु भाकर की हार की प्रमुख वजह रही उनकी निशानेबाजी के दौरान उनको भारत सरकार के द्वारा मुहैया कराई गयी पिस्टल।
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मनु भाकर के करोड़ो लोगो के साथ साथ अपना सपना पूरा करने और एयर पिस्टल निशानेबाजी(Air pistol shooting) के खेल में शानदार प्रदर्शन करने टोक्यो पहुंची। लेकिन उनको क्या मालूम था की उनके सपनो की राह में रोड़ा उनकी स्वंय की पिस्टल ही बन जायेगी। 25 जूलाई के दिन वो अपने पहले मुकाबले में ही टॉप आठ में जगह नहीं बना पाईं। 10मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में निशाना लगा रही मनु को देखकर ये लगा की वो आगे के टॉप आठ की रैकिंग में जगह बना लेंगी लेकिन ऐन मौके पर उनकी पिस्टल धोखा दे गई। पिस्टल में आई तकनीकी खराबी (Technical fault) के कारण वो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं।
इस तरह दुनिया के दूसरे नंबर(World number two shooter) की निशानेबाज मनु को 12वें स्थान से संतुष्ट हो आगे की प्रतिस्पर्धा से बाहर होना पड़ा। इस मुकाबले के बाद एक बड़ा सवाल हमारे देश की सरकार और देश के लोगो के सामने है। आखिर कब सरकार का ध्यान इस तरफ जायेगा। कब सरकार इन खेलों को लेकर के सीरियस होगी। कब तक सरकारी अव्यवस्था के कारण हमारे खिलाड़ियों (Government of our country) का सपना धरा का धरा रह जायेगा। अगर सरकार ने सही समय से मनु को अच्छी पिस्टल मुहैया कराने पर उसकी अच्छे से जांच कर टोक्यो साथ भेजने पर ध्यान दी होती तो आज भारत के पदकों की संख्या में एक पदक की और वृद्धि हो सकती थी। ये सवाल ना जानें कब तक सामने आता रहेगा ना जानें कब तक इस देश के बेटों और बेंटियों का सपना चकनाचूर होता रहेगा।
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