Gyanvapi Case Verdict : ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Mosque Case) में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज हो गई है। पूर्व कैबिनेट मंत्री और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वकील डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने बताया कि मुस्लिम पक्ष की याचिका क्या थी और उसे क्यों जिला अदालत ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि हिंदू पक्ष की याचिका मानने योग्य है। वाराणसी की जिला कोर्ट ने सोमवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की मेनटेनबिलिटी पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज कर दी। सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) मानते हैं कि कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है।
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सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने याचिका दाखिल की थी। यह सिविल प्रोसीजर कोड (civil procedure code) के तहत दर्ज की गई थी। ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत इसे दाखिल किया गया था। इसमें ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) में पूजा करने की इच्छा रखने वाली महिलाओं की याचिका को खारिज करने के लिए कहा गया था। मुस्लिम पक्ष चाहता था कि महिलाओं की याचिका पर कोई सुनवाई नहीं हो। इसी याचिका को खारिज कर दिया गया है। सुब्रमण्यम के अनुसार, लेकिन अभी मुख्य मामले को लेकर सुनवाई होनी है। वह यह है कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) में जिस जगह शिवलिंग पाया गया था वहां लोगों को पूजा करने की अनुमति दी जाए या नहीं। इस पर अब सुनवाई होगी।
मुस्लिम पक्ष को नहीं दाखिल करनी चाहिए थी याचिका
सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को यह याचिका दाखिल ही नहीं करनी चाहिए थी। उन्हें लगता है कि कोर्ट ने बिल्कुल सही किया है। जब सुब्रमण्यम स्वामी से पूछा गया कि इस फैसले का क्या मतलब है तो उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि अब कोर्ट को फैसला देना है कि महिलाओं को ज्ञानवापी में पूजा की इजाजत दी जाए या नहीं। इसमें से एक रोड़ा कोर्ट ने हटा दिया है। इसके तहत मुस्लिम पक्ष चाहता था कि ऐसी किसी याचिका पर सुनवाई होनी ही नहीं चाहिए।
1991 के ‘द प्लेसेज ऑफ वरशिप ऐक्ट’ (The Places of Worship Act) के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मुकदमा दायर कर रखा है। इस पर भी सुनवाई होने वाली है। सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy)ने हिंदू पक्ष की ओर से तमाम याचिकाकर्ता में से एक सीता साहू से कहा कि उन्हें डंटे रहना चाहिए वह उनके साथ हैं। सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने कहा कि जब मुस्लिम आक्रांता देश में आए तो उन्होंने कई मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराया। इसके उलट इस्लाम धर्म इसके लिए मना करता है। यानी मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराना गलत था।
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‘द प्लेसेज ऑफ वरशिप ऐक्ट’ (The Places of Worship Act) में सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) की भूमिका बेहद अहम रहने वाली है। उन्होंने कहा कि लड़ाई सिर्फ पूजा करने की नहीं है। हम तो मंदिर बनाना चाहते हैं। ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case)में एक अन्य याचिकाकर्ता जीतेंद्रानंद सरस्वती (Petitioner Jitendranand Saraswati) ने कहा कि यह जीत तो शुरुआती है। आगे भी सत्य ही जीतेगा। अभी तो श्रृंगार गौरी की पूजा (Shringar Gauri Puja) के बहाने यह मुकदमा खुला है।