Harsingar : देवों को अर्पित किए जाने वाले पुष्प हरसिंगार के पौधे को पारिजात के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में
इसे महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। शास्त्रों में इस पौधे को कल्पवृक्ष की संज्ञा दी गई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए 14 रत्नों में से एक रत्न रूपी पौधा हरसिंगार भी था। मनमोहक और आकर्षक दिखने वाला यह हरसिंगार का पौधा पूजा.पाठ में इस्तेमाल होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। इसके पत्ते, छाल और फूल गठिया से लेकर आंतों के कीड़े तक कई बीमारियों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। गठिया के दर्द से निजात पाने के लिए आप पारिजात के पत्तेए छाल और फूल से काढ़ा बना सकते हैं। सर्दीए खांसी और साइनस के लिए इसे चाय की तरह पिएं। एक गिलास पानी में 2.3 पत्ते और 4.5 फूल उबालें, इसमें 2.3 तुलसी के पत्ते डालकर चाय की तरह पिएं।
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हरसिंगार का धार्मिक महत्व
1. हरसिंगार के पौधे को घर के आस-पास उत्तर या पूर्व दिशा में लगाने से घर के सभी वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं।
2. श्री हरि और माता लक्ष्मी की पूजा में यदि हरसिंगार के फूलों को शामिल किया जाए तो इससे भगवान प्रसन्न होते है और शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूर्ण होती है।
3.पारिजात के फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं। जहां यह वृक्ष होता है वहां पर साक्षात लक्ष्मी का वास होता है।