नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पत्र का जवाब नहीं देने पर प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, लोकतंत्र की परंपरा और संस्कृति, प्रश्न पूछने और संवाद करने की होती है। धर्म में भी गरिमा और शिष्टाचार जैसे मूल्यों से ऊपर कोई नहीं होता। यह अफ़सोस की बात है कि सरकार के ऊंचे से ऊंचे पदों पर आसीन हमारे नेताओं ने इन महान परंपराओं को नकार दिया है।
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प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि, कुछेक भाजपा नेताओं और मंत्रियों की अनर्गल और हिंसक बयानबाज़ी के मद्देनज़र लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के जीवन की सुरक्षा के लिए चिंतित होकर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे जी ने प्रधानमंत्री जी को एक पत्र लिखा।
प्रधानमंत्री जी की आस्था अगर लोकतांत्रिक मूल्यों, बराबरी के संवाद और बुज़ुर्गों के सम्मान में होती तो इस पत्र का जवाब वह ख़ुद देते। इसकी बजाय उन्होंने नड्डा जी की ओर से एक हीनतर और आक्रामक किस्म का जवाब लिखवा कर भिजवा दिया। बयासी बरस के एक वरिष्ठ जननेता का निरादर करने की आख़िर क्या ज़रूरत थी? लोकतंत्र की परंपरा और संस्कृति, प्रश्न पूछने और संवाद करने की होती है। धर्म में भी गरिमा और शिष्टाचार जैसे मूल्यों से ऊपर कोई नहीं होता।
प्रियंका गांधी ने आगे लिखा कि, आज की राजनीति में बहुत ज़हर घुल चुका है, प्रधानमंत्री जी को अपने पद की गरिमा रखते हुए, सचमुच एक अलग मिसाल रखनी चाहिए थी। अपने एक वरिष्ठ सहकर्मी राजनेता के पत्र का आदरपूर्वक जवाब दे देते तो जनता की नज़र में उन्हीं की छवि और गरिमा बढ़ती। यह अफ़सोस की बात है कि सरकार के ऊंचे से ऊंचे पदों पर आसीन हमारे नेताओं ने इन महान परंपराओं को नकार दिया है।
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