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यदि मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तो हमारे कामों में अवरोध नहीं उत्पन्न कर सकती दिव्यांगता: पद्मश्री कनुभाई हसमुखई भाई टेलर

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। स्वाती फांउडेशन (Swati Foundation) के तरफ से सोमवार को पद्मश्री कनुभाई हसमुखई भाई टेलर (Padmashree Kanubhai Hasmukhai Bhai Taylor) सहित 80 दिव्यांग जनों और उनके लिए काम करने वाले समाजसेवियों को सम्मानित किया गया। कृष्णानगर स्थित एक होटल में इस अवसर पर छह घंटे का सेमिनार भी आयोजित हुआ, जिसमें कनुभाई टेलर ने कहा कि यदि मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तो दिव्यांगता हमारे कामों में अवरोध नहीं उत्पन्न कर सकती। प्रकृति ने यदि कोई बाधा उत्पन्न किया है तो निश्चय ही वह कोई अच्छी विशेषता भी देता है। उसे हमें निखारने की जरुरत है।

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उन्होंने अपना उदाहारण देते हुए कहा कि हमारा ही देख लीजिए, भगवान ने दोनों पैर से दिव्यांग बना दिया, लेकिन उसके बाद भी मैं मन से कभी नहीं हारा और पूरे समाज के लिए काम आ रहा हूं। हम सभी को पहले मन को जीतना चाहिए। यदि मन पर विजय है तो दिव्यांगता को कभी भी हरा सकते हैं। यह बता दें कि पद्मश्री कनूभाई हसमुखभाई टेलर (Padmashree Kanubhai Hasmukhai Bhai Taylor)  एक दिव्यांग होते हुए भी गुजरात में पूरी जिंदगी दिव्यांजन को समर्पित कर दिये और उन्होंने वहां बहुत बड़ा काम किया है।

स्वाती फाउंडेशन ने कनुभाई टेलर सहित 80 दिव्यांगों को किया सम्मानित

इस अवसर पर एक सेमिनार भी आयोजित किया गया, जिसमें स्वाती फाउंडेशन (Swati Foundation) की अध्यक्ष और पूर्व मंत्री स्वाती सिंह ने कहा कि प्रकृति जिस भी व्यक्ति को शारीरिक रुप से अक्षम बनाती है, उसको निश्चय ही कुछ विशेष दिव्य दृष्टि देती है। उसको पहचानने की जरूरत है। उसको पहचान कर जो चला वह अपनी दिव्यांगता पर हावी हो गया और वह कर बैठा जो शारीरिक रूप से स्वस्थ भी नहीं कर सकते।

स्वाती सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अब तक सबसे ज्यादा दिव्यांजनों के लिए काम किया है। उन्होंने आत्मसम्मान का भाव भरने के लिए सबसे पहले विकलांग शब्द को दिव्यांगजन कर दिया, जिससे आत्मग्लानि का भाव न आये। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)  ने अनेकों कार्यक्रम चलाए, जिससे आज दिव्यांगजन आत्मनिर्भर हो रहे हैं।

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उन्होंने सूरदास का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने एक बार सूरदास का हाथ पकड़कर बांधा को पार कराया था। उसके बाद छोड़कर जाने लगे तो तुरंत सूरदास ने तुरंत उन्हें पहचान लिया और उन्होंने कहा कि आपने हमको इतना निर्बल समझ लिया है। आप इतने सबल हैं तो मेरे मन और आत्मा से निकलकर देखिए। उन्होंने कहा कि हर दिव्यांगजन को सूरदास से प्रेरणा लेनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि समाज आगे आये और दिव्यांगजनों की मदद करे। मैं भी दिव्यांगजनों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहती हूं। इस अवसर समाजसेवी सविता सिंह, बिंदू प्रभा, डा. सुनील बिझला, कमलेश मौर्य मृदुल, लक्ष्मीकांत सिरके, हुसैन रजा, विजय सिंह विष्ठ मनोज गुप्ता, पीके वर्मा को सम्मानित किया गया।

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