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‘जल जीवन मिशन’ के ट्रायल में भरभरा कर गिरी भ्रष्टाचार से बनी पानी की टंकी

By टीम पर्दाफाश 
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सीतापुर। जल जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है। इस योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है, जिसका उदाहरण सीतापुर में देखने को मिला। यहां लाखों रुपये की लागत से बनी पानी की टंकी भरभरा कर गिर गई। पानी की टंकी गिरने के बाद अब इसमें ​किए गए भ्रष्टाचार को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। कहा जा रहा है कंपनियां मानक के विपरित काम कर रहीं हैं, जिसके कारण इस तरह की घटनाएं हो रहीं हैं।

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सूत्रों की माने तो कंपनियों से विभाग के अफसर मोटी रकम वसूल रहे हैं, जिसके कारण कंपनियां मनमाने तरीके से अपने काम को कर रहीं हैं। वहीं, इस विभाग के अपर प्रमुख सचिव भी इस तरह के भ्रष्टाचार पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जिसको लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, ये पहला मामला नहीं है, जब जल जीवन मिशन योजना में भ्रष्टाचार की बात सामने आई है। इससे पहले भी इस योजना में भ्रष्टाचार की बात सामने आ चुकी है लेकिन प्रमुख सचिव से लेकर उनके करीबी अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं, जिसके कारण पीएम मोदी और सीएम योगी की ये महत्वाकांक्षी योजना परवान नहीं चढ़ पाई।

वहीं, यूपी कांग्रेस ने पानी की गिरी हुई टंकी का वीडियो शेयर कर सरकार पर निशाना साधा है। यूपी कांग्रेस ने एक्स पर लिखा कि, सीतापुर में ‘जल जीवन मिशन’ योजना के अंतर्गत पानी की टंकी बनाई गई और पहले ही ट्रायल में भरभरा के गिर गयी। बताया जा रहा है कि जिस गांव में यह टंकी बनाई गयी है वहां इस योजना के अंतर्गत करोड़ों रूपये खर्च हुए हैं। इतना खर्च होने के बावजूद भी टंकी पहले ही ट्रायल में गिर जा रही है यानी खर्च टंकी बनाने में कम और जेब भरने ज्यादा हुआ है।

जेई, एई, एक्सियन, सम्बन्धित विभाग के अन्य अधिकारी, स्थानीय विधायक, विभागीय मंत्री सब की जेब तक पहुंचते-पहुंचते बजट का बड़ा हिस्सा खर्च होना लाजमी है। टंकी तो मिट्टी में मिल गयी अब कोई है जो इसका जवाब दे कि टंकी क्यों गिरी? जवाबदेही तो तय होनी ही चाहिए…।

अधिशासी अभियंता की हुई थी हत्या
बता दें कि, बीते दिनों सुल्तानपुर में एक अधिशासी अभियंता की हत्या कर दी गयी थी। हत्याकांड में सहायक अभियंता और उसका साथी शामिल था। बताया जा रहा है कि, भ्रष्टाचार के खिलाफ अधिशासी अभियंता ने आवाज उठाई थी, जिसके कारण उसकी हत्या कर दी गयी। ऐसे में अब तक विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्वत खामोश बने हैं, जो बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं।

 

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