नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को बालासोर में ओडिशा के तट से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos Supersonic Cruise Missile) के एक नए संस्करण का सफल परीक्षण किया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने बताया ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) नए तकनीकी विकास से लैस थी, जो सफल रही।
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एक हफ्ते से भी अधिक समय पहले 11 जनवरी को, DRDO ने भारतीय नौसेना के एक स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल (stealth guided-missile) विध्वंसक से ब्रह्मोस के एक नौसैनिक संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। DRDO ने कहा कि मिसाइल ने “ठीक” निर्धारित लक्ष्य पर निशाना साधा था।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Union Defense Minister Rajnath Singh)ने डीआरडीओ (DRDO) के अधिकारियों को सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई दी थी। कहा कि यह “भारतीय नौसेना की मिशन तत्परता की मजबूती की पुष्टि करता है। ब्रह्मोस DRDO और रूस के NPO Mashinostroyeniya के बीच एक संयुक्त भारत-रूस उद्यम (Joint India-Russia Venture) है, जिसने मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस (BrahMos Aerospace) का गठन किया। मिसाइल का नाम दो नदियों से लिया गया है। जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस का मोस्कवा है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस (BrahMos Aerospace) , भारत-रूस संयुक्त उद्यम, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (supersonic cruise missile) का उत्पादन करता है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना की गति से उड़ान भरती है। भारत पहले ही कई रणनीतिक स्थानों पर बड़ी संख्या में मूल ब्रह्मोस मिसाइलों और अन्य प्रमुख मिसाइलों को तैनात कर चुका है।