Ishan Kishan Jeevan Parichay: हिन्दी की भाषा के प्रसिद्ध कवि बिहारी जी की एक कविता है। ‘सतसइया के दोहरे ज्यों नावक के तीर, देखन में छोटे लगत घाव करे गंभीर’ इस कविता में कवि कहना चाहता है कि जो चिज जितनी छोटी होती है वो उतना ही ज्यादा असरदायक होती है। इस कविता के एक एक शब्द को सही साबित किया है आईपीएल में मुंबई के लिए खेलने वाले भारत के छोटे कद के खिलाड़ी ईशान किशन (Ishan Kishan) ने। बिहार के पटना में 18 जुलाई 1998 को ईशान किशन का जन्म हुआ। इनके पिता प्रणव पाण्डेय एक बिल्डर हैं। ईशान के बड़े भाई राज किशन भी स्टेट लेवल पर क्रिकेट खेल चुके हैं। वहीं ईशान को बचपन से ही क्रिकेट में बड़ी दिलचस्पी थी। जब भी उन्हें थोड़ा समय भी मिलता वो क्रिकेट खेलने चले जाते। उनके माता-पिता ने बेटे को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए पटना के सबसे बड़े स्कूल डीपीएस में दाखिला करवाया था।
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मां सुचिता सिंह बेटे को पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर(doctor) बनाना चाहती थीं। लेकिन, ईशान का पढ़ाई में मन जरा से भी नहीं लगता था। वो क्लास के दौरान अपनी कॉपी में क्रिकेट संबंधी चित्र बनाते थे। उनके क्रिकेट खेलने को लेकर मां अक्सर उन्हें डांट लगाती थीं। पढ़ाई में कमज़ोर होने की वजह से उन्हें स्कूल से भी निकाल दिया गया। ईशान बचपन से ही हर वक़्त क्रिकेट के बारे में ही सोचते थे। बेटे में क्रिकेट के जुनून को देखते हुए पिता ने उन्हें क्रिकेटर बनाने का फैसला लिया। वहीं उनके बड़े भाई ने भी उनको बहुत सपोर्ट किया। लेकिन, ईशान की मां नहीं चाहती थी कि बेटा क्रिकेटर बने। जिसके लिए वो पूजा पाठ भी करती थीं। हनुमान चालीसा का भी पाठ अपने घर पर कराती। बावजूद इसके ईशान पर इसका कोई असर नहीं हुआ। वो बाहर क्रिकेट खेलने के अलावा घर में भी दिन-रात क्रिकेट (day and Night) के ही बारे में बातें किया करते थे। वहीं ईशान के पिता प्रणव बताते हैं कि ईशान जब दो साल का था तो वो बैट और गेंद अपने साथ लेकर सोता था।
क्रिकेट कैरियर
ईशान झारखंड के रांची चले गए। वहां उन्होंने अपने क्रिकेट करियर की नई शुरुआत की। ईशान ने कड़ी मेहनत और अपनी लगन से झारखंड की रणजी टीम में जगह बनाई। दिसंबर 2014 में असाम के खिलाफ ईशान ने अपने पहले प्रथम श्रेणी मैच में शानदार बल्लेबाजी करते हुए 60 रनों की बेहतरीन पारी खेली थी। रणजी मैचों में शानदार खेल दिखाने का फल ईशान को मिला। साल 2015 में उन्हें अंडर-19 विश्वकप (World Cup) 2016 के लिए न सिर्फ भारतीय टीम में शामिल किया गया, बल्कि उन्हें टीम का कप्तान भी नियुक्त किया गया। अंडर-19 विश्वकप के दौरान ईशान का बल्ला भले ही खामोश रहा हो। लेकिन उनकी कप्तानी में भारतीय टीम फाइनल (final) तक का सफर तय की थी।
फाइनल में उसे वेस्टइंडीज के सामने हार का सामना करना पड़ा था। इस विश्वकप में ऋषभ पंत उनके साथ ओपनिंग बल्लेबाज की भूमिका निभाई थी। बहरहाल विश्वकप के बाद ईशान ने एक बार फिर घरेलू मैचों में शानदार बल्लेबाजी के दम पर अपनी प्रतिभा का लोहा हर किसी को मनवाया। साल 2016 के अंत में उन्होंने शानदार बल्लेबाजी करते हुए रणजी के एक मैच में दिल्ली (delhi) के खिलाफ 273 रन की पारी खेली। जो स्टेट के किसी भी खिलाड़ी के सर्वोच्च स्कोर था। ईशान ने आईपीएल में भी अपना जलवा बिखेरते हुए अपनी टीम मुंर्बइ के लिए कई मैच जिताऊ पारियां खेली। इसका फायदा भी उन्हें टीम इंडिया में जगह बना कर के मिला। अगामी टी20 विश्वकप में भी ईशान भारत की 15 सदस्यों वाली टीम का हिस्सा हैं। ये टूर्नामेंट उनका भविष्य (Future) काफी हद तक तय करने वाला है।
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