नई दिल्ली। सूर्य (Sun) की अहम जानकारियों को जुटाने के लिए भारत की तरफ से भेजे गए आदित्य-एल1 (Aditya L-1) ने अपना काम शुरू कर दिया है। अब उपग्रह में लगे पेलोड- आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (Payload- Aditya Solar Wind Particle Experiment) ने काम करना शुरू कर दिया है। इसरो ने बताया कि यह पेलोड सामान्य रूप से काम कर रहा है।
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एक्सपेरिमेंट में कौन-कौन से उपकरण हैं शामिल?
आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) में दो अत्याधुनिक उपकरण सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (SWIS) और सुप्राथर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (STEPS) शामिल हैं। STEPS उपकरण 10 सितंबर, 2023 को शुरू किया गया था। वहीं, SWIS उपकरण एक महीने पहले यानी दो नवंबर को शुरू हुआ और इसने अच्छा प्रदर्शन किया है। इसरो के मुताबिक, उपकरण ने सौर पवन आयन, मुख्य रूप से प्रोटॉन और अल्फा कणों को सफलतापूर्वक मापा है।
इसरो (ISRO) ने बताया कि इसके जरिए उसे सौर हवाओं के बारे में काफी जानकारी हासिल हुई है। इससे वैज्ञानिकों को सौर हवाएं चलने की वजह और पृथ्वी पर पड़ने वाले उनके असर के बारे में पता चलेगा। इससे अंतरिक्ष के मौसम को लेकर भी काफी जानकारी पता चल सकेगी।
सितंबर में हुई थी लॉन्चिंग
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भारतीय स्पेस एजेंसी (ISRO) ने दो सितंबर को भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग की थी। इसरो ने पीएसएलवी सी57 लॉन्च व्हीकल से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से हुई थी। यह मिशन भी चंद्रयान-3 की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह तेजी से सूरज की दिशा में उड़ान भरेगा।
तारों के अध्ययन में सबसे ज्यादा मदद करेगा
इसरो (ISRO) के मुताबिक, सूर्य हमारे सबसे करीब मौजूद तारा है। यह तारों के अध्ययन में हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है। इससे मिली जानकारियां दूसरे तारों, हमारी आकाश गंगा और खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में मदद करेंगी। हमारी पृथ्वी से सूर्य करीब 15 करोड़ किमी दूर है। आदित्य एल1 (Aditya L-1) वैसे तो इस दूरी का महज एक प्रतिशत ही तय कर रहा है, लेकिन इतनी सी दूरी तय करके भी यह सूर्य के बारे में हमें ऐसी कई जानकारियां देगा, जो पृथ्वी से पता करना संभव नहीं होता।