Janeu : सावन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है। यह दिन शुभ माना जात है। इस बार सावन पूर्णिमा 11 अगस्त को पड़ रही है। शिव मास के इस पवित्र दिन नया जनेऊ धारण करने का विधान है। भारतीय संस्कृति में जनेऊ धर्म का प्रतीक माना जाता है। इसके धारण करने के पीछे वैज्ञानिक आधार है। यह कच्चे सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है। यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। यह आयु, बल, विद्या, शुभता और तेज प्राप्ति के लिए की गई प्रार्थना है। जनेऊ धारण करने से यह सब सिद्धियां सहज ही प्राप्त हो जाती हैं।
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हिंदू धर्म में जीवन के कुल 16 संस्कारों में यज्ञोपवीत भी एक संस्कार है। ब्राह्मण जनेऊ के धागे को अपने कंधे के ऊपर और दाईं भुजा के नीचे धारण करते हैं। जनेऊ पहनने की परंपरा काफी पुरानी है। जनेऊ धारण करने से पहले और बाद भी कई नियम होते हैं, जिसका पालन करना जरूरी होता है।जनेऊ पहनने को लेकर धार्मिक दृष्टिकोण से ऐसा माना जाता है कि इससे शरीर शुद्ध और पवित्र रहता है।