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मुखर बयानों की वजह से न्यायपालिका बनाम सरकार जैसी स्थिति बनी, इसके चलते किरेन रिजिजू हुई विदाई, जानें क्या-क्या कहा?

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) की केंद्रीय कानून मंत्री (Union Law Minister) पद से विदाई हो गई है। जिसकी उम्मीद काफी पहले से की जा रही थी। बतौर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू लगातार चर्चा में रहे हैं। उन्होंने मुखर होकर न्यायपालिका (Judiciary) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की कॉलेजियम व्यवस्था (Collegium System) पर सवाल खड़े किए। इससे न्यायपालिका बनाम सरकार (Judiciary Versus Government) जैसी स्थिति बनी। इसके चलते सरकार को असहज स्थिति का भी सामना करना पड़ा। रिजिजू को केंद्रीय कानून मंत्री (Union Law Minister) के पद से हटाने के पीछे यह भी एक वजह मानी जा रही है।

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किरेन रिजिजू के कुछ चर्चित बयान

बीती जनवरी में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने न्यायपालिका पर तीखा हमला बोला था और कहा था कि ‘न्यायाधीशों को चुनाव लड़ने या सार्वजनिक जांच का सामना करने की जरूरत नहीं है फिर भी वह अपने फैसलों से जनता की नजरों में हैं। लोग आपको देख रहे हैं आपका आकलन कर रहे हैं। आपके फैसले, आप न्याय कैसे करते हैं….लोग देख सकते हैं और आकलन करके अपनी राय बनाते हैं।’

रिजिजू ने कहा कि ‘भारत में अगर लोकतंत्र को फलना-फूलना है तो एक मजबूत और स्वतंत्र न्यायपालिका का होना जरूरी है। हालांकि रिजिजू ने ये भी कहा कि सरकार और न्यायापालिका के बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन विवाद नहीं है।’

‘कुछ लोग चाहते हैं न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए’

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हाल ही में मार्च में किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने दावा किया था कि ‘कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश, जो भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं, ये लोग कोशिश कर रहे हैं कि भारत की न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए।’ रिजिजू ने कहा था कि ‘कुछ लोग अदालत भी जाते हैं और कहते हैं कि कृपया सरकार पर लगाम लगाएं, कृपया सरकार की नीति बदलें। ये लोग चाहते हैं कि न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए, जो संभव नहीं हो सकता।’

‘देश संविधान से चलता है’

बीती फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन(Allahabad High Court Bar Association) के एक कार्यक्रम में किरेन रिजिजू ने सरकार बनाम न्यायपालिका (Judiciary Versus Government) की बात से इनकार किया था कहा था कि ‘देश में न्यायपालिका बनाम सरकार (Judiciary Versus Government) जैसा कुछ नहीं है। यह लोग हैं, जो सरकार का चुनाव करते हैं…सर्वोच्च हैं और देश भारत के संविधान के अनुसार चलता है।’

90 रिटायर्ड अफसरों ने जताया था विरोध

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की व्यवस्था (Supreme Court Collegium System) के खिलाफ भी किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) मुखर रहे और कई बार इसकी आलोचना की। किरेन रिजिजू के बयानों के चलते ही बीते कुछ माह पहले ही 90 रिटायर्ड अफसरों ने इस पर नाराजगी जताई थी और कानून मंत्री को पत्र लिखा था। अफसरों ने पत्र में लिखा था कि कानून मंत्री ने कई मौकों पर जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System)और न्यायिक स्वतंत्रता (Judicial Independence) पर ऐसे बयान दिए, जो सुप्रीम कोर्ट पर हमला लगते हैं। पत्र में किरेन रिजिजू के बयानों की निंदा की गई और कहा गया कि न्यायिक स्वतंत्रता (Judicial Independence)से समझौता नहीं किया जा सकता।

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वकीलों के एक ग्रुप ने भी किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) के बयानों का विरोध किया था और कहा था कि उन्होंने संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है। सरकार की आलोचना करना, राष्ट्र की आलोचना करना नहीं है ना ही ये देशद्रोही गतिविधि है।

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