Kalashtami Vrat 2022: हिंदू देवताओं में भैरव बाबा का बहुत ही महत्व है। बाबा को काशी का कोतवाल कहा जाता है। भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी कहा जाता है। इस दिन काल भैरव की पूजा का विधान है। भैरवनाथ को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी के व्रत से कष्ट, दुख, भय, पाप और नकारात्मकता दूर हो जाती है।
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पौराणिक मान्यता है कि, उनके दर्शन के बिना बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूरा नहीं होता है। एकमात्र भैरव की आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है। आराधना का दिन रविवार और मंगलवार नियुक्त है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी व्रत के बारे में।
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मई, रविवार
अष्टमी तिथि की शुरुआत दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से
अष्टमी तिथि का समापन सोमवार सुबह 11 बजकर 34 मिनट पर
उदया तिथि के मुताबिक कालाष्टमी का व्रत 22 मई को रखा जाएगा
भैरव बाबा का कार्य है शिव की नगरी काशी की सुरक्षा करना और समाज के अपराधियों को पकड़कर दंड के लिए प्रस्तुत करना है।