नई दिल्ली। काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद (Kashi Vishwanath-Gyanvapi controversy) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में गुरुवार को पूजा के अधिकार को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह वाराणसी की जिला कोर्ट में जाएं। हमने मामला वहां ट्रांसफर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने याचिकाकर्ता को शिवलिंग की पूजा(Shivalinga Worship) की इजाजत देने और उसकी कार्बन डेटिंग की मांग को भी सुनने से इनकार कर दिया है।
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याचिकाकर्ता राजेश मणि त्रिपाठी ने शिवलिंग की पूजा (Shivalinga Worship) की अनुमति मांगी थी। उनके वकील ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि हम पूजा की अनुमति मांग रहे हैं। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, और जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस नरसिम्हा की पीठ ने की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारे पिछले आदेश के बाद अभी वाराणसी जिला जज की कोर्ट में मेंटेनिबिलिटी पर सुनवाई जारी है। उसी के आदेश पर आगे की कार्रवाई निर्भर करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में यूं हुई जिरह
याचिकाकर्ता : हम शिवलिंग की पूजा की अनुमति मांग रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट : जब निचली अदालत में सुनवाई लंबित है, तो आप सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? सिविल केस की सुनवाई की एक प्रक्रिया होती है। बेहतर है आप याचिका वापस ले लें।
वकील हरिशंकर जैन: श्रद्धालु महिलाओं की तरफ से जैन ने शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग रखी।
जस्टिस चंद्रचूड़: आप अनुभवी वकील हैं। आप जानते हैं कि इस तरह सीधे सुनवाई नहीं हो सकती। यह बातें निचली अदालत में रखिए। जिसे जो भी कहना है, वाराणसी के जिला जज की कोर्ट में कहे।
हरिशंकर जैन : याचिका वापस लेने की अनुमति दे दीजिए, कोर्ट ने यह दे दी।
अब अक्तूबर के पहले हफ्ते में होगी आगे सुनवाई
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इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद (Kashi Vishwanath-Gyanvapi controversy) की सुनवाई अक्तूबर के पहले हफ्ते तक के लिए टाल दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह तब तक इंतजार करेगी कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Intejamiya Masjid Committee) की याचिका पर जिला कोर्ट क्या फैसला लेती है? कमेटी ने इस मामले की सुनवाई के औचित्य पर सवाल उठाया है। बता दें, ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) यूपी के बनारस में बाबा विश्वनाथ मंदिर (Baba Vishwanath Temple) से सटी हुई है। इसे लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां मंदिर था, जिसे मुगलकाल में तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया।