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भारत में गुर्दे की बीमारी बहुत आम, प्रत्यारोपण इसका सबसे अच्छा इलाज लेकिन किडनी दाताओं की लंबी प्रतिक्षा सूची : प्रो.सी.एम. सिंह

By शिव मौर्या 
Updated Date

लखनऊ। डा0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के नेफ्रोलाजी विभाग एवं किडनी डिजीज एजुकेशन एण्ड वेलफेयर सोसाईटी के संयुक्त तात्वधान से उत्तर प्रदेश में मृतक दाता (Deceased Donor Transplantation) के बारे में जागरूकता के उदेश्य से संगोष्ठी का आयोजन कराया गया।

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संगोष्ठी का आयोजन संस्थान के नवनियुक्त निदेशक प्रो0सी0एम0 सिंह के नेतृत्व में किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन निदेशक प्रो0सी0एम0 सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. ए0के सिंह द्वारा किया गया था। सीएमई में विभिन्न फैकल्टी सदस्य और विभागाध्यक्ष और प्रत्यारोपण समन्वयक उपस्थित थे।

संस्थान के निदेशक प्रो0सी0एम0 सिंह ने अपने सम्बोधन में नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिलाष चंद्रा को संगोष्ठी के आयोजन हेतु बधाई दी। साथ ही संगोष्ठी मे देश के अग्रणी राज्य तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और दिल्ली-एनसीआर से आये हुये प्रवक्ता, प्रतिभागीयों, संकाय सदस्यों का धन्यवाद किया।

उन्होंने बताया कि भारत में गुर्दे की बीमारी बहुत आम है और अब समाज में इसकी व्यापकता बढ़ रही है। गुर्दे का प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसप्लांट) इसका सबसे अच्छा इलाज है। लेकिन फिर भी, किडनी दाताओं की लंबी प्रतिक्षा सूची है। उत्तर भारत समेत यूपी में ज्यादातर प्रत्यारोपण जीवित दाताओं से किए जाते हैं, मृत दाताओं से नहीं।

संगोष्ठी के नेफ्रोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिलाष चंद्रा ने विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पिछले दशक में, भारत में स्थिति काफी सुधरी है, मृतक दाता प्रत्यारोपण 2013 में लगभग 300 से बढ़कर 2022 में सालाना 900 से अधिक हो गए हैं। पिछले 5 वर्षों में कुल 5000 से अधिक मृतक दाता प्रत्यारोपण दर्ज किए गए।

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संगोष्ठी मे आये एम्स दिल्ली के डॉ. दीपक गुप्ता और डॉ. दीपांकर भौमिक ने मस्तिष्क मृत्यु प्रमाण पत्र और मृतक दाता प्रत्यारोपण के प्रबंधन के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। नोटो (NOTTO) दिल्ली से आये डॉ. अवधेश कुमार यादव और एसजीपीजीआई लखनऊ के सोटो (SOTTO) के डॉ. हर्षवर्धन ने उत्तर प्रदेश में मृतक दाता के कानूनी पहलुओं और स्थिति के बारे मे अपने विचार प्रकट करते हुये इस कार्य की संवेदनशीलता पर प्रकाश डाला।

संगोष्ठी में उपस्थित एसजीपीजीआई की प्रो. अनुपमा कौल और डॉ. संचित रस्तगी ने बताया अकेले किडनी पुनर्प्राप्ति के चरणों के बारे में विस्तारक जानकारी उपलब्ध कराई और किडनी प्रत्यारोपण के लिए आवंटन आदेश के बारे में बताया। मोहन फाउंडेशन से उपस्थित पल्लवी पटेल ने मृतक दाता एवं किडनी प्रत्यारोपण में परिवार की अहम भूमिका के बारे में बताया और परिवार की काउन्सलिंग करने के तरीकों के बारे में बताया।

डॉ. सुभो बनर्जी ने गुजरात मॉडल के सफल मृतक गुर्दा प्रत्यारोपण के बारे में चर्चा की। धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष नेफ्रोलॉजी प्रो. अभिलाष चंद्रा द्वारा दिया गया और डॉ. नम्रता राव और डॉ. मजीबुल्लाह अंसारी द्वारा समर्थित किया गया। कार्यक्रम के अंत में अनुभवी समन्वयकों ने रोल प्ले द्वारा प्रतिभागियों को ट्रेन किया गया। संस्थान के मीडिया-पीआर प्रकोष्ठ से संस्थान की जन सम्पर्क अधिकारी मीना जौहरी ने कार्यक्रम में सहयोग किया।

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