आये हम आपको आज बताते है की क्या ज्यादा पानी पिने से भी हो सकता है कोई नुकसान, मनुष्य के शरीर का 70 प्रतिशत अंग पानी से मिलकर बना होता है। इसमें आश्यर्च की कोई बात नहीं है कि हमारे जीवन के लिए पानी बहुत जरूरी है। शरीर के सभी अंगों के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए और इलेक्ट्रोलाइट के असंतुलन को दूर करने के लिए नियमित पर्याप्त पानी पीना आवश्यक होता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि आवश्यकता से अधिक पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। तो अगर आप यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि आखिर शरीर के लिए कितनी मात्रा में पानी पीना जरूरी होता है तो आइये जानते हैं कि हमें कितना पानी पीना चाहिए और अधिक पानी पीने के क्या परिणाम होते हैं। वाटर इनटॉक्सिकेशन क्या है? अधिक पानी पीने की लत से क्या होता है, यह बताने से पहले आपको पानी के पीछे के विज्ञान के बारे में बताते हैं।
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जब किशमिश को पानी में रातभर भिगोकर रखते हैं तो किशमिश सुबह तक एकदम फूल जाती है। इसी प्रकार खीरे के टुकड़े को सांद्र नमक के विलयन में डालकर रखते हैं तो यह रातभर में सिकुड़ जाता है और स्वाद में पूरी तरह नमकीन लगने लगता है। इस प्रक्रिया को ऑस्मोसिस कहते हैं। यह विलयन अर्ध-पारगम्य झिल्ली से कम सांद्रता से अधिक सांद्रता की ओर स्थानांतरित होता है जबतक कि दोनों संतुलन की अवस्था में न आ जायें। इस तरह सामान्य तौर पर जानें कि जब आप आवश्यकता से अधिक पानी पीते हैं तो यह शरीर के कोशिकाओं के भीतर की सांद्रता की तुलना में ब्लड के सोडियम की सांद्रता को अधिक पतला कर देता है। इससे जल कोशिकाओं में चला जाता है जिसकी वजह से यह खुल जाता है और विशेषरूप से मस्तिष्क के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसे वाटर प्वॉयजनिंग कहते हैं।
कितना पानी पीना बहुत अधिक होता है
कितना पानी पीना बहुत अधिक हो जाता है, वास्तव में यह दो कारकों पर निर्भर करता है और ये कारक हैं- आपके किडनी की निस्पंदन क्षमता और वह समय अवधि जिस दौरान आप पानी पीते हैं। सर्वप्रथम एक स्वस्थ मनुष्य की किडनी प्रति घंटे 1 लीटर पानी को फिल्टर करने की क्षमता रखती है। इसलिए यदि आप प्रति घंटे इससे ज्यादा पानी पीते है तो वाटर इनटॉक्सिकेशन के खतरे की संभावना बढ़ जाती है। और यह खतरा उन व्यक्तियों में ज्यादा बढ़ जाता है जो कि किडनी की समस्या से जूझ रहे हों या जिनकी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही हो। इसके अलाव पानी पीने की समय अवधि भी ज्यादा मायने रखता है। उदाहरण के तौर पर कुछ ही घंटों में 10 से 20 लीटर पानी पीने से वाटर इनटॉक्सिनेशन का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इतना ही पानी 24 घंटे के भीतर पीने से यह खतरा नहीं होता है।