Lahsuniya Ratna : कुंडली में केतु ग्रह बहुत महत्व रखता है। केतु (Ketu) को ज्योतिष में छाया ग्रह माना जाता है।किसी भी राशि का स्वामी नहीं है। लेकिन वह खुद की दशा के दौरान जहां बैठते हैं, उस भाव के स्वामी की तरह व्यवहार करते हैं। केतु का मित्रता – मंगल ग्रह के समान है। लेकिन सूर्य और चंद्रमा केतु का शत्रु विचार है। ज्योतिषियों की मानें तो केतु ग्रह से जातक को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में केतु को आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष तथा तांत्रिक विद्या कारक माना गया है। लेकिन धनु केतु की उच्च राशि है, जबकि मिथुन में यह नीच भाव में होता है।
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लहसुनिया केतु का रत्न है। लेकिन इसे धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श जरूर करना चाहिए। केतु भौतिकवादी (संसारिक सुख) दुनिया से अलगाववाद का प्रतिनिधित्व करते है।
1.अगर आपके कार्य व व्यवसाय में लगातार हानि हो रही हैं एवं बिगड़े कार्य बन नहीं रहें है, तो लहसुनिया पहनने से लाभ होता है।
2. अगर आप लगातार रोग से ग्रसित रहते हैं तो चांदी की अंगूठी में लहसुनिया को बनवाकर मध्यमा उंगली में धारण करने से रोग में कमी आती है।
3. यदि लहसुनिया में चमक न हो तो यह धारण करने से धन का नाश न होता है। अगर इस रत्न में छेद हो तो वह खंडित माना जाता है। ऐसा लहसुनिया धारण करने से शत्रुओं की संख्या में वृद्धि होती है।