पढ़ें :- आपके भाषण ‘मुंह में राम, बगल में छुरी’ जैसे लगते हैं... अखिलेश यादव पर केशव मौर्य का निशाना
नई दिल्ली। Lakhimpur Kheri Violence Case : यूपी के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) जिले में बीते तीन अक्टूबर को हुई हिंसा मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने इस मामले में योगी सरकार (Yogi government) द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) पर नाखुशी जाहिर की है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) में यह कहने के अलावा कुछ भी नहीं है कि और गवाहों से पूछताछ की गई है।
रिटायर्ड जज की निगरानी में होगी जांच
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले की जांच रिटायर्ड जज की निगरानी में होगी। बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में चार प्रदर्शनकारियों समेत आठ लोगों की मौत हुई थी। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है। 26 अक्टूबर को शीर्ष कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मामले के गवाहों को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार को मामले के अन्य गवाहों के बयान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज करने का भी निर्देश दिया था। डिजिटल साक्ष्यों की विशेषज्ञों द्वारा जल्द जांच कराने को कहा था। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को एक पत्रकार और श्याम सुंदर नामक एक व्यक्ति की भीड़ द्वारा कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या के मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। दो अधिवक्ताओं ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। इसी पृष्ठभूमि में अदालत मामले की सुनवाई कर रही है।
पढ़ें :- हमारे पास इलेक्टोरल बॉन्ड, नकली वैक्सीन से देशवासियों की जिंदगी से खिलवाड़ कर जुटाए गए चंदे तो नहीं... हेमंत सोरेन का BJP पर निशाना
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्य सरकार को एक पत्रकार की और श्याम सुंदर नामक एक व्यक्ति की भीड़ द्वारा कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या के मामले में स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) दाखिल करने का निर्देश दिया था। दो अधिवक्ताओं ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। इसी पृष्ठभूमि में कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है। राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने 26 अक्टूबर को पीठ को बताया था कि 68 गवाहों में से 30 के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए जा चुके हैं और अन्य कुछ के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। इन 30 गवाहों में से 23 ने चश्मदीद होने का दावा किया है।