Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. दुनिया
  3. Lal Bahadur Shastri birth anniversary : आज भी लोगों के हृदय में बसते हैं लालबहादुर शास्त्री जी,सादा जीवन-उच्च विचार को किया चरितार्थ

Lal Bahadur Shastri birth anniversary : आज भी लोगों के हृदय में बसते हैं लालबहादुर शास्त्री जी,सादा जीवन-उच्च विचार को किया चरितार्थ

By अनूप कुमार 
Updated Date

Lal Bahadur Shastri Jayanti 2021: साहस और विनम्रता की पूंजी सहेजे दिल में देश की आजादी का जूनून लिए और भारतीय संसकार मेें रचे बसे लालबहादुर शास्त्री जी आज भी ईमानदारी के लिए जन जन के चित्त् में बसे हुए हैं। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। उनकी माँ अपने तीनों बच्चों के साथ अपने पिता के घर जाकर बस गईं।

पढ़ें :- बिहार में सरकार नाम की कोई चीज नहीं, मुख्यमंत्री अब निर्णय लेने लायक नहीं रह गए...नीतीश कुमार पर तेजस्वी ने साधा निशाना

‘शास्त्री’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था
लाल बहादुर शास्त्री का पूरा नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। लाल बहादुर की शिक्षा हरीशचंद्र उच्च विद्यालय से हुई है। इन्होंने काशी विद्या पीठ से स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की, उसके बाद उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी ने लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद का उत्तरदायित्व सौंपा था।

बाहर से विनम्र दिखने वाले लाल बहादुर अन्दर से चट्टान की तरह दृढ़
गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए अपने देशवासियों से आह्वान किया था, इस समय लाल बहादुर शास्त्री केवल सोलह वर्ष के थे। उन्होंने महात्मा गांधी के इस आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय कर लिया था। उनके इस निर्णय ने उनकी मां की उम्मीदें तोड़ दीं। उनके परिवार ने उनके इस निर्णय को गलत बताते हुए उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वे इसमें असफल रहे। लाल बहादुर ने अपना मन बना लिया था। उनके सभी करीबी लोगों को यह पता था कि एक बार मन बना लेने के बाद वे अपना निर्णय कभी नहीं बदलेंगें क्योंकि बाहर से विनम्र दिखने वाले लाल बहादुर अन्दर से चट्टान की तरह दृढ़ हैं।

”जय जवान जय किसान”
कई बार उन्हे स्वाधीनता आंदोलनों में अपनी भूमिका के लिए जेल भी जाना पड़ा था। लाल बहादुर शास्त्री अपने राजनीतिक क्षेत्र में गोविंद वल्लभ पंत और जवाहरलाल नेहरू से प्रभावित थे। देश की आजादी के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शास्त्री जी का पूरा जीवन ही लोगों के लिए एक आदर्श है। 26 जनवरी, 1965 को लाल बहादुर शास्त्री ने देश के जवानों और किसानों का हौसला बढ़ाने के लिए ”जय जवान जय किसान” का नारा दिया था। जिसका अनुसरण स्वतंत्र भारत आज भी करता है। लाल बहादुर शास्त्री ने इसी तरह कई नारा और अपने अनमोल विचारों से लोगों को प्ररित करने का काम किया है।

लालबहादुर जी के नेतृत्व में भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।

पढ़ें :- बुलंदशहर और सम्भल में प्रस्तावित कलेक्ट्रेट कार्यालयों को इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित किया जाए: सीएम योगी

महात्मा गांधी के समान विचार रखने वाले लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ पहचान हैं।

Advertisement