नई दिल्ली: सनातन धर्म में प्रभु शंकर को त्रिदेवों में से एक तथा इनका निवास कैलाश पर्वत माना जाता है। महादेव को संहार का भगवान भी कहा जाता है। ऐसी भी प्रथा है कि महादेव कैलाश पर्वत पर ही निवास करते हुए आकाश मार्ग के द्वारा एक जगह से दूसरी जगह पर यात्रा भी करते रहते थे।
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आपको बता दें, यात्रा करते वक़्त महादेव ने धरती पर जहां-जहां भी अपना पैर रखा था। वहां पर महादेव के पैरों के निशान आज भी उपस्थित हैं। आइए जानते हैं कि भारत में ऐसी कौन-कौन सी जगह हैं जहां पर महादेव के पैरों के निशान उपस्थित हैं।
महादेव के पैरों के निशान
भारत के देवभूमि माने जाने वाले राज्य उत्तराखंड के अल्मोढ़ा शहर से सिर्फ 36 किमी की दूरी पर जागेश्वर मंदिर नाम की एक पहाड़ी है। इसी पहाड़ी पर जंगल में 4 किमी चलने पर एक जगह मिलती है जहां पर महादेव के पैरों के निशान नजर आते हैं। महादेव के इन पैरों के निशान के बारे में ऐसी प्रथा है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे तब पांडवों की इच्छा महादेव के दर्शन करने और उनके सानिध्य में रहने की हुई।
उधर महादेव ध्यान करने के लिए कैलाश पर्वत जाना चाहते थे। किन्तु पांडव इस बात से सहमत नहीं थे। इस पर महादेव पांडवों को चकमा देकर कैलाश पर्वत पर चले गए थे। ऐसा कहा जाता है कि जहां से महादेव ने कैलाश पर्वत जाने के लिए प्रस्थान किया था, उसी जगह पर आज भी उनके पैरों के निशान देखे जा सकते हैं।
तमिलनाडु के थिरुवेंगडू तथा थिरुवन्ना मलाई में
भारत के तमिलनाडु राज्य के थिरुवेंगडू में एक श्रीस्वेदारण्येश्वर का मंदिर है। इसी मंदिर में महादेव के पैरों के निशान उपस्थित है। यहां पर इन पैरों के निशान को ‘रूद्र पदम’ कहा जाता है। जबकि महादेव के पैरों का दूसरा निशान तमिलनाडु के ही थिरुवन्ना मलाई में उपस्थित है।
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असम के तेजपुर में है महादेव के दाएं पैर का निशान
महादेव के दाएं पैर का यह निशान असम के शोणितपुर शहर के तेजपुर शहर के रुद्र्पद मंदिर में उपस्थित है। यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बना हुआ है।
झारखण्ड के रांची में भी है महादेव के पैर का निशान
झारखण्ड के रांची रेलवे स्टेशन से तकरीबन 7 किमी दूर ‘रांची हिल’ नामक एक पहाड़ी है। इसी पहाड़ी पर महादेव का एक प्राचीन मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर को पहाड़ी मंदिर अथवा नाग मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में महादेव के पैरों के निशान आज भी उपस्थित हैं। इस मंदिर के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि श्रावण के माह में एक नाग मंदिर में ही अपना डेरा डाले रहता है।