Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में हुई सियासी फेरबदल की पठकथा बहुत पहले ही लिख गयी थी। इसकी कहानी आज सबके सामने आ गई। एनसीपी नेता अजित पवार (Ajit Pawar) समेत 9 नेताओं के अचानक शिंदे सरकार में शामिल होना सबको चौंका दिया। हालांकि, इससे पहले भी 2019 में अजित पवार ने पार्टी छोड़ दी थी। उस समय भी कुछ विधायकों को साथ लेकर अजित पवार ने विद्रोह कर दी थी।
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हालांकि बाद में अजित पवार (Ajit Pawar) ने घर वापसी कर ली थी और वो विद्रोह टल गया था लेकिन इस बार अजित पवार के द्वारा किया गया विद्रोह लंबा खिंचने के संकेत दे रहे हैं। दरअसल, अजित पवार ने एनसीपी और उसके चुनाव चिन्ह पर भी अपना दावा ठोंक दिया है। वहीं, पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने इस पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि वो फिर से पार्टी को खड़ी कर देंगे।
अप्रैल में लिख गयी थी पठकथा
बताया जा रहा है, महाराष्ट्र में रविवार दोपहर को जो सियासी हंगामा हुआ उसकी पटकथा तो अप्रैल में ही लिख दी गई थी। यह पटकथा तब लिखी गई जब सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा भी नहीं थी कि शरद पवार अपनी पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले हैं। महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से समझने वालों का मानना है कि अप्रैल के पहले हफ्ते में जब अजित पवार ने दिल्ली का एक दौरा किया उसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में सरगर्मी आनी शुरू हुई। कहा यह तक जाने लगा कि एनसीपी के नेता अजित पवार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सुर में सुर मिलाने लगे थे। फिलहाल महाराष्ट्र में अचानक बदली सियासत को लेकर न सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश में आगे के कयास लगाए जाने लगे हैं।