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मोदी सरकार ने देश में लगा दिया ‘Sale For India’ का बोर्ड : Rakesh Tikait

By संतोष सिंह 
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मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) के बैनर तले किसानों की महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) जीआईसी ग्राउंड पर हो रही है। इस अवसर पर महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (Bharatiya Kisan Union)  के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने मोदी सरकार (Modi government) पर बड़ा हमला बोला है।किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश में 9 महीने से आंदोलन हो रहा है, लेकिन मोदी सरकार (Modi government)  ने किसानों से बात बंद कर दी। उन्होंने कहा ​कि सैंकड़ों किसानों के लिए एक मिनट का मौन नहीं किया। उन्होंने कहा कि देश में बड़ी मीटिंग करनी होगी। सिर्फ मिशन यूपी नहीं देश बचाना होगा। बेरोजगारी और जिस तरह से चीज बेची जा रही है, उसकी अनुमति किसने दी?

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राके टिकैत ने कहा कि देश में ‘Sale For India’ का बोर्ड लगा है। इसको खरीदने वाले अंबानी-अडाणी हैं। उन्होंने कहा कि FCI के गोदाम भी कंपनी को दे दिए। बंदरगाह भी बिक गए, मछली पालन और नमक के किसान पर असर होगा। ये पानी भी बेचेंगे। उन्होंने कहा कि भारत बिकाऊ है, ये भारत सरकार की पॉलिसी है। राकेश टिकैत से किसानों से कहा कि अंबेडकर का संविधान भी खतरे में है।

जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी को हटाया, उसी तरह मोदी-शाह को हटाना है : दर्शन पाल सिंह

किसान नेता दर्शन पाल सिंह (Farmer leader Darshan Pal Singh) ने कहा कि 8 अप्रैल 1857 को मेरठ में बगावत हुई थी। इस बगावत ने अंग्रेजी शासन खत्म कर दिया था। अब उसी तरह का जोश मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar)  में दिख रहा है। जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी को हटाया, उसी तरह मोदी-शाह को हटाना है। उन्होंने बताया कि अगर मीटिंग 9 और 10 सितंबर को लखनऊ में गन्ने को लेकर होगी।

इस किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) में यूपी के अलावा पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे 15 राज्यों से किसान जुटें हैं। दिल्ली के बॉर्डर पर जो लंबे समय से आंदोलन चल रहे हैं वहां से भी किसान इस महापंचायत में शामिल होने आए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा का दावा है कि ये अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत है। वहीं, महापंचायत को देखते हुए मुजफ्फरनगर में सुरक्षा भी कड़ी है। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि यहां जुटी भीड़ किसानों की ‘ताकत’ दिखाती है। किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।

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