नई दिल्ली। वर्तमान समय में अंतरिक्ष से एक बेहद रहस्यमयी सिग्नल आ रहा है। खगोल वैज्ञानिक (Astronomer) अंतरिक्ष से जुड़े हुए रहस्यों को सुलझाने में लगे हुए हैं। इस खबर ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों (Space Scientists) को खौफ में डाल दिया है। बता दें कि धरती से 4 हजार प्रकाश वर्ष (Light Year) दूर अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों को किसी रहस्यमय चीज से रेडियो सिग्नल (Radio Signal) के आने का पता चला है।
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खगोल वैज्ञानिकों (Astronomer) को कहना है कि इस प्रकार के रेडियो सिग्नल (Radio Signal) को इससे पहले कभी नहीं देखा था। ये रेडियो सिग्नल हर 18 मिनट पर धरती पर आ रहे हैं। अंतरिक्ष में इस तरह हो रही हलचल से वैज्ञानिक भी हैरान हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि ये एक न्यूट्रान तारा हो सकता है या फिर ये किसी सफेद तारे का अवशेष भी हो सकता है। इसका चुंबकीय क्षेत्र बहुत ज्यादा शक्तिशाली है, जिसके कारण इस तरह की तरंगे धरती पर आ रही हैं। ऐसा भी हो सकता है कि ये पूरी तरह से कोई दूसरी ही चीज हो।
इससे पहले इस तरह के स्पेस ऑब्जेक्ट को साल 2018 मार्च के महीने में देखा गया था। इस रेडियो सिग्नल को धरती से देखने पर ये किसी चमकीले तरंग की तरह दिखाई दे रहा है। जब वैज्ञानिकों ने इसकी जांच की तो पता चला कि ये बड़ी मात्रा में ऊर्जा को छोड़ रहा है। ये एक तरह से खगोलीय लाइट हाउस की तरह दिखाई दे रहा है।
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक नताशा हर्ले के निर्देशन में शोधकर्ताओं के एक दल ने इस बेहद रहस्यमय ऑब्जेक्ट की खोज की है। जब शोधकर्ताओं का ये दल ब्रह्मांड में मौजूद रेडियो तरंगों का नक्शा बना रहा था। तभी उन्हें ये ऑब्जेक्ट दिखाई दिया। डॉक्टर नताशा के अनुसार कि जब हम अंतरिक्ष में निगरानी कर रहे थे। तो ये ऑब्जेक्ट कभी सामने आता है और फिर गायब हो जाता है। ये घटना पूरी तरह से हैरान करने वाली है। एक अंतरिक्ष विज्ञानी के लिए ये बेहद चिंता का विषय है, क्योंकि इससे पहले इस तरह की कोई भी वस्तु नहीं देखी गई।
डॉक्टर नताशा ने बताया कि ये हमारी धरती के बेहद पास है और हमारी आकाशगंगा के ठीक पीछे है। अगर इस ऑब्जेक्ट और धरती की दूरी की बात करें, तो ये पृथ्वी से महज 4 हजार प्रकाशवर्ष दूर है। उन्होंने ये भी बताया कि ये “अल्ट्रा लांग पीरियड मैग्नेटर” से बिल्कुल मिलता जुलता है। ये हमारी उम्मीद से भी ज्यादा चमकीला है।
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इस ऑब्जेक्ट में बहुत ज्यादा चुंबकीय प्रभाव देखने को मिल रहा है, जो चुंबकीय ऊर्जा को रेडियो तरंगों में तेजी से बदल रहा है। इससे पहले ये घटना कभी नहीं देखी गई। यह शोध नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।