नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद (Punjab Congress President Post) से नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने मंगलवार को इस्तीफे का एलान कर दिया है। यह पहली बार नहीं है जब सिद्धू ने अचानक ही कोई बड़ा फैसला लेकर अपने दल पर प्रभाव डाला हो। इससे पहले अपने क्रिकेट करियर (Cricket Career) से लेकर भाजपा (BJP)और अमरिंदर सरकार (Amarinder Government) में रहने के दौरान भी वे कप्तानों से नाराजगी के चलते इस तरह अचानक फैसले लेकर अपनी टीम को नुकसान पहुंचाते रहे हैं।
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कप्तान अजहरुद्दीन से 1996 में हुए नाराज तो बीच में छोड़ दी टीम
भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) ने 1996 में इंग्लैंड का दौरा किया था। यहां टीम को तीन वनडे की सीरीज खेलनी थीं। बताया जाता है कि नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) सीरीज को अचानक ही छोड़ कर देश लौट गए थे। तब ऐसी अटकलें उठी थीं कि उनका विवाद टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन (Captain Mohammad Azharuddin) से हो गया था, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। 2011 में बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले (Former BCCI secretary Jaywant Lele) की एक किताब में सिद्धू की इस पूरी हरकत का ब्योरा दिया गया था।
इस किताब में कहा गया है कि इंग्लैंड दौरे पर सिद्धू की टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन (Captain Mohammad Azharuddin) से दूरी इतनी बढ़ चुकी थी कि उन्होंने पहले वनडे में खेलने के बाद दूसरे वनडे में खेलने से इनकार कर दिया और भारत लौट गए। लेले ने कहा कि सिद्धू ने उस वक्त अजहरुद्दीन (Azharuddin) के रवैये पर नाराजगी जताई थी, जो कि अनजाने में खिलाड़ियों से मजाक में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते थे।
किताब में कहा गया है कि सिद्धू इससे इतना नाराज थे कि उन्होंने पूरी टीम को बीच में ही छोड़ दिया था। बाद में सिद्धू की इस हरकत पर जांच भी बिठाई गई। हालांकि, जब उन्हें पता चला कि अजहरुद्दीन (Azharuddin) हैदराबाद का होने की वजह से उस भाषा का इस्तेमाल करते थे, तो सिद्धू इसे जानकर चौंक गए थे।
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2016 में जिसने राजनीति में लाया, उसीसे नाराज होकर छोड़ी पार्टी
नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने 2016 में अचानक ही अपनी राज्यसभा सीट (Rajya Sabha seat) भी इसी तरह छोड़ने का एलान किया था। बता दें कि सिद्धू की भाजपा से नाराजगी 2014 में ही शुरू हो गई थी, जब उन्हें अमृतसर सीट से टिकट नहीं दिया गया था। सिद्धू की जगह इस चुनाव में उन्हें राजनीति में लाने वाले अरुण जेटली को लड़ाया गया था। तब सिद्धू की नाराजगी को देखते हुए अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे सांसद पद को छोड़ने वाले हैं, लेकिन उनका इस्तीफा आया दो साल बाद, वह भी तब जब पंजाब चुनाव (Punjab elections) को महज एक साल ही बाकी था। बताया गया था कि तब उनकी नाराजगी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से थी, जिसके मुखिया अमित शाह(Amit Shah) थे। बाद में सिद्धू ने 2018 में खुद खुलासा किया था कि भाजपा ने उन्हें पंजाब से दूर रहने के लिए कहा था, जिसे लेकर वे नाराज थे और इसीलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
2019 में कैप्टन अमरिंदर सिंह से विवाद के चलते अचानक छोड़ा मंत्री पद
सिद्धू ने ऐसा ही एक कदम 2019 में भी उठाया था, जब उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Chief Minister Captain Amarinder Singh) से नाराजगी के चलते कैबिनेट मंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब सिद्धू ने मंत्री पद छोड़ने का एलान भी ट्विटर पर ही किया था। अपने इस्तीफे में सिद्धू ने तब कैबिनेट छोड़ने के पीछे कोई वजह नहीं दी थी, बल्कि सिर्फ यह कहा था कि वे पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा दे रहे हैं। अपना इस्तीफा पंजाब के मुख्यमंत्री को भेज रहे हैं। तब सामने आया था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ विवाद ही सिद्धू के इस्तीफे की वजह बना था।
बता दें कि कैप्टन को सिद्धू के पाकिस्तान (Pakistan) के पीएम इमरान (PM Imran) के शपथग्रहण में जाना अखरा था। इसे लेकर उन्होंने सिद्धू को दोबारा सोचने की सलाह भी दी थी, लेकिन वे नहीं माने। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सिद्धू को कांग्रेस के स्टार प्रचारक के तौर पर जगह दी गई, पर उन्हें पंजाब में अभियान करने की इजाजत नहीं मिली। इसी दौरान सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर (Navjot Kaur) ने आरोप लगाया था कि अमरिंदर सिंह ने उनका टिकट रोक लिया। बाद में पंजाब सीएम ने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) पर अपना विभाग ठीक से न संभालने के आरोप लगा दिए।