अहमदाबाद। इशरत जहां एनकाउंटर मामला तो आपको याद ही होगा। जो पिछले डेढ़ दशक से भारत की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। ये एक एन्काउटंर का मामला था जिसमें इशरत जहां नामक लड़की के साथ साथ जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई और दो लोग और थे जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे। ऐसा बताया गया था कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे।
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इस एनकाउंटर को अहमदाबाद के डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यूनिट के वंजारा लीड कर रहे थे। इसे विपक्ष के लोगो के द्वारा फर्जी एन्काउटंर बताया गया जिसके बाद इस मामले में सीबीआई ने 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी और उसमें 7 पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था। मामले से जुड़े सभी पुलिस अधिकारियों को सीबीआई कोर्ट ने बरी कर दिया गया है। अदालत ने तरुण बरोट और जीएल सिंघल समेत तीन पुलिस अफसरों को केस से बरी कर दिया है।
ये तीनों अधिकारी ही इस केस में आखिरी तीन आरोपी थे, जिन्हें बरी कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य कुछ अधिकारियों को पहले ही कोर्ट से बरी किया जा चुका है। मामले की सुनवाई करते हुए स्पेशल सीबीआई जज वीआर रावल ने कहा, ‘प्रथम दृष्ट्या जो रिकॉर्ड सामने रखा गया है, उससे यह साबित नहीं होता कि इशरत जहां समेत चारों लोग आतंकी नहीं थे।’ इशरत जहां, प्राणेशष पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर की 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम से मुठभेड़ हुई थी।
इसमें चारों मारे गए थे। इन अफसरों में पीपी पांडे, वंजारा, एनके आमीन, जेजी परमार, जीएल सिंघल, तरुण बरोट शामिल थे। इन सभी पुलिस अधिकारियों पर हत्या, मर्डर और सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया था, लेकिन 8 साल बाद सभी बरी हो गए हैं। बता दें कि बीते डेढ़ दशक से इशरत जहां एनकाउंटर केस काफी चर्चा में रहा है। राजनीतिक तौर पर भी यह मुद्दा काफी संवेदनशील रहा है।