नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने वाले हैं। 9 साल में मोदी सरकार ने दूसरी बार नोट को बदलने का फैसला लिया है। पहले 1000 और 500 के नोट को बंद कर दिया था और अब 2000 के नोट भी चलन से बाहर हो जायेंगे। 30 सितंबर तक 2000 के नोट वैध रहेंगे। मोदी सरकार के इस फैसले पर आम जनता से लेकर विपक्ष के नेताओं में आक्रोश देखने को मिला है।
पढ़ें :- अश्लील व पोर्नोग्राफिक कंटेंट दिखाने वाले 18 OTT Platforms को मोदी सरकार ने किया ब्लाक, ऑनलाइन न्यूज चैनल पर होगी सख्ती
कारोबारियों का कहना है कि पहली बार हुई नोटबंदी की मार अभी तक झेल रहे हैं ऐसे में दूसरी बार 2000 के नोट को चलन से बाहर करने का फैसला कारोबार को नुकसान पहुंचायेगा। वहीं, आम लोगों का कहना है कि एक बार फिर बैंक की लाइनों में लगना पड़ेगा, जिससे समय का नुकसान होगा और परेशानी झेलनी पड़ेगी।
जब प्रतिबंधित करना था तो 2000 के नोट लाए क्यों?
कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि, दुख क बात है कि भाजपा सरकार के पास अपनी नीतियों के बारे में स्पष्टता नहीं है। अगर वे इसे प्रतिबंधित करने की योजना बना रहे थे, तो उन्होंने 2016 में ₹2,000 के नोट क्यों पेश किए?
यह बीजेपी की नाकामी से ध्यान भटकाने की कोशिश है।